रांची: झारखंड में कुपोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए केजीवीके की प्रयोगशाला में मशरूम के बीजों का उत्पादन प्रारंभ किया गया है. गर्भवती महिलाओं में कुपोषण के पीछे एनीमिया एक बड़ा कारण है. मशरूम के अंदर दुर्लभ अमीनो एसीड प्रोटीन पाये जाते है. केजीवीके के कृषि विभाग द्वारा मशरूम को एग्री अलाइड के तौर पर जोड़ते हुए इसके बीजों का उत्पादन शुरू किया गया है.
मशरूम उत्पादन में लगी महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करा कर उनकी आजीविका में वृद्धि करना भी बीज उत्पादन का मुख्य लक्ष्य है.
केजीवीके में सीनियर ऑफिसर एग्रीकल्चर नंद लाल कुमार ने बताया कि प्रयोगशाला के माध्यम से ओयस्टर मशरूम के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है. इन बीजों को एक महीने में तैयार कर लिया जाता है. केजीवीके में 400 ग्राम के एक मशरूम बीज पैकेट की कीमत 28 रुपये रखी गयी है. बाजार में उपयोग में आने वाले मशरूम की कीमत 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम है. अगर कोई मशरूम उत्पादक 20 रु पये के एक बंडल को खरीद कर उत्पादन शुरू करता है तो उसे प्रति किलोग्राम 50 रुपये का शुद्ध लाभ होगा. मशरूम के उत्पादन से जुड़ा व्यक्ति, समूह और समितियां केजीवीके में आकार मशरूम बीज प्राप्त कर सकते हैं.