क्रोधी प्रवृत्ति रोकने के लिए शिव का करें अभिषेकरांची : मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान ज्योतिषी शांतनु चटर्जी ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. अत्यधिक क्रोध की समस्या और उससे निबटने के संबंध में उन्होंने बताया कि मंगल के गलत स्थान पर होने, मूल: अश्विनी तथा सताइसा में जन्म, राहु का प्रभाव जातक पर विशेष हो तो यह सब क्रोध आने के कारण बनते हैं. इसके साथ ही गोचर ग्रह अवस्थाओं तथा नवम अंशों आदि के अध्ययन में यदि पाप ग्रह और अरिष्ट ग्रह, कार्यक्षेत्र, लग्न तथा विवाह स्थान यानी तुला स्थान को प्रभावित करें तो उन स्थानों पर जहां-जहां इन ग्रहों का प्रभाव पड़ रहा है, उन घटकों के कारण क्रोध का कारण बनता है. यादी दशम स्थान कर्मक्षेत्र में प्रभाव होने पर नौकरी से तनाव और गुस्सा आने का कारण बनता है, यदि तुला पर ग्रह का प्रभाव पड़ रहा है तो क्रोध आने के कारण वैवाहिक जीवन में तनाव का कारण बनता है. रजबुन और राग के मिलने से क्रोध की सृष्टि होती है. क्रोध से मनुष्य सम्मोहित होता है, सम्मोहन से स्मृति खराब होती जाती है और स्मृति के नष्ट होने से बुद्धि का नाश होता है. बुद्धि के नाश होने से व्यक्ति का पतन होता है. क्रोध की शांति के लिए सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं के करीब आना आवश्यक है. वह गलतियों को स्वीकार करना सीखे. जिस ग्रह के कारण क्रोध उत्पन्न होता है उस ग्रह की शांति करवाया जाये. राहु तथा शनि के कारण, कालसर्प दोष, पितृ दोष, मातृशाप, प्रेत बाधा के कारण क्रोध में व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हो जाता है या फिर आत्महत्या जैसे विचार भी आने लगते हैं. सोमवार को शिव का अभिषेक तथा पूजन क्रोध शांत करने में लाभदायक है.
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29 अप्रैल ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग
क्रोधी प्रवृत्ति रोकने के लिए शिव का करें अभिषेकरांची : मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान ज्योतिषी शांतनु चटर्जी ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. अत्यधिक क्रोध की समस्या और उससे निबटने के संबंध में उन्होंने बताया कि मंगल के गलत स्थान पर […]
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