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15 मिनट में निकल गया पित्त की नली से पत्थर

फोटो—विमलदेवइआरसीपी पद्धति से निकाला गया पत्थर इंडोस्कोपी से संबंधित नयी तकनीक एवं जांच के बारे में जानकारी दी गयीसंवाददाता, रांचीइंडियन सोसाइटी ऑफ गेस्ट्रो इंट्रोलॉजी झारखंड-बिहार (जेबीआइएसजीकॉन) 2015 के वार्षिक अधिवेशन में रविवार को तीन मरीजों की इंडोस्कोपी पद्धति से जांच की गयी. कार्यशाला में एक महिला मरीज के पित्त की नली में मौजूद पत्थर को […]

फोटो—विमलदेवइआरसीपी पद्धति से निकाला गया पत्थर इंडोस्कोपी से संबंधित नयी तकनीक एवं जांच के बारे में जानकारी दी गयीसंवाददाता, रांचीइंडियन सोसाइटी ऑफ गेस्ट्रो इंट्रोलॉजी झारखंड-बिहार (जेबीआइएसजीकॉन) 2015 के वार्षिक अधिवेशन में रविवार को तीन मरीजों की इंडोस्कोपी पद्धति से जांच की गयी. कार्यशाला में एक महिला मरीज के पित्त की नली में मौजूद पत्थर को इंडोस्कोपी पद्धति से ऑपरेशन कर निकाला गया. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनट का समय लगा. ऑपरेशन देश के प्रसिद्ध गैस्ट्रोलॉजिस्ट एवं इंडोस्कोपिक सर्जन डॉ डी नागेश्वर रेड्डी ने किया. इसे रिम्स ऑडिटोरियम में बैठे चिकित्सकों ने लाइव देखा. चिकित्सकों ने ऑपरेशन थियेटर में मौजूद विशेषज्ञों से सवाल भी किये, जिसका जवाब भी उन्हें दिया गया.चिकित्सकों को बताया गया कि इंडोस्कोपी से ऐसे ऑपरेशन अब आसान हो गये हैं. बॉस्केट के माध्यम से पत्थर को निकाला जा सकता है. दूसरे सत्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पेट से संबंधित बीमारी के बारे में मौजूद चिकित्सकों को बताया. फार्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल दिल्ली से आये डॉ अजय कुमार ने इंडोस्कोपी से संबंधित नयी तकनीक एवं जांच के बारे में जानकारी दी. अधिवेशन में कई चिकित्सकों ने अपने विचार रखे. चिकित्सकों ने बताया कि इंडोस्कोपी से अब पेट की बीमारी का आसानी से पता लगाया जा सकता है. आयोजन को सफल बनाने में डॉ एनके झा, डॉ सतीश मिढ़ा, डॉ अजय छाबड़ा सहित रिम्स के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने सहयोग किया.

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