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जेट व सरकार की भी नहीं सुनते निजी स्कूल

मनमानी. जेट ने विकास शुल्क के नाम पर हर वर्ष प्रत्येक छात्र से मोटी रकम वसूली को बताया था अवैध सतीश कुमार रांची : निजी स्कूल प्रबंधन झारखंड एजुकेशनल ट्रिब्यूनल (जेट) व राज्य सरकार के आदेशों को भी नहीं मानते. जेट ने वर्ष 2006 से 09 के बीच अपने तीन आदेशों में स्पष्ट किया था […]

मनमानी. जेट ने विकास शुल्क के नाम पर हर वर्ष प्रत्येक छात्र से मोटी रकम वसूली को बताया था अवैध
सतीश कुमार
रांची : निजी स्कूल प्रबंधन झारखंड एजुकेशनल ट्रिब्यूनल (जेट) व राज्य सरकार के आदेशों को भी नहीं मानते. जेट ने वर्ष 2006 से 09 के बीच अपने तीन आदेशों में स्पष्ट किया था कि निजी स्कूल गत वर्ष की तुलना में अपनी टय़ूशन फीस में 15 फीसदी से अधिक वृद्धि नहीं कर सकते.
यही नहीं जेट ने कक्षा चार तक के बच्चों से कंप्यूटर व लाइब्रेरी फीस वसूलने को अवैध करार दिया था. साथ ही विकास शुक्ल के रूप में प्रत्येक विद्यार्थी से हर वर्ष मोटी रकम लिये जाने को भी अवैध बताते हुए इस मद में न्यूनतम राशि लेने का निर्देश दिया था. सात फरवरी 2006 को तत्कालीन जेट अध्यक्ष न्यायमूर्ति एलपीएन शाहदेव व सदस्य प्रो चंद्रमौली शर्मा की पीठ ने कहा था कि चूंकि सभी विद्यालय मेडिकल फीस लेते हैं.
इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए चिकित्सक की व्यवस्था (रेगुलर अथवा पीरियोडिकल) हो. स्कूलों में फस्र्ट एड बॉक्स व चिकित्सकों का उचित इंतजाम हो. स्कूल बसों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को नहीं ले जाया जाये. बच्चों के अस्वस्थ्य होने पर अभिभावकों को तत्काल सूचना दी जाये. इससे बचने के लिए अधिकांश स्कूलों ने कई हथकंडे अपनाये.
अब स्कूलों से किताब नहीं बेच कर दुकानदारों से मिलीभगत कर किताबों की बिक्री की जाती है. स्कूलों की अपनी दुकानें फिक्स हैं. हालांकि इसे लेकर दबाव नहीं बनाया जाता लेकिन दूसरी दुकान में उस पब्लिकेशन की किताब नहीं मिलने के कारण मजबूर होकर अभिभावकों को संबंधित दुकान से ही किताबें खरीदनी पड़ती हैं.
निदेशालय के आदेश की भी अनदेखी
इससे पूर्व राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी एक आदेश निकाला था. इसमें कहा गया था कि निजी स्कूलों को फीस वृद्धि के लिए राज्य सरकार से स्वीकृति लेनी होगी.
12 दिसंबर 2006 को जारी इस आदेश के बाद से स्कूलों ने कभी भी स्वीकृति की जरूरत नहीं समझी. इसी आदेश में खर्च का मदवार ब्योरा देने संबंधी बात भी थी, जिसका आज भी पूरी तरह पालन नहीं होता.
कमेटियां भी फेल
झारखंड गठन के बाद पहली बार मई 2001 में निजी स्कूलों के मुद्दे पर एक कमेटी का गठन विधायक फूलचंद मंडल की अध्यक्षता में किया गया था. कमेटी में बतौर सदस्य 10 विधायक भी थे. इस कमेटी को लिये जा रहे शुल्क के मद्देनजर निजी स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति पर रिपोर्ट देनी थी. कमेटी की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी नहीं है.
वहीं मानव संसाधन विभाग ने फीस वृद्धि की समीक्षा के लिए महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी. निजी स्कूल संघ की ओर से फीस वृद्धि संबंधी जेट के एक आदेश को कोर्ट में चुनौती के बाद यह कमेटी ही भंग कर दी गयी.
जेट के आदेश जिनका पूर्ण रूप से नहीं हो रहा अनुपालन
सात फरवरी 06
– विकास शुल्क के नाम पर हर वर्ष प्रत्येक छात्र से मोटी रकम की वसूली नहीं हो.
– नर्सरी से कक्षा चार तक कंप्यूटर व लाइब्रेरी फीस न वसूली जाये
– स्कूलों में फस्र्ट एड बॉक्स व चिकित्सकों का उचित इंतजाम हो
– यूनिफॉर्म, किताब व कॉपी खरीदने संबंधी प्रतिबंध नहीं लगाया जाये
– स्कूल बसों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को नहीं ले जाया जाये.
– बच्चों के अस्वस्थ होने पर अभिभावकों को तत्काल सूचना दी जाये.
अभिभावक की शिकायत पर ही हो सकती है कार्रवाई : न्यायमूर्ति एसके चट्टोपाध्याय
जेट अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसके चट्टोपाध्याय ने कहा की जेट को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है. अगर अभिभावक शिकायत करते हैं, तो ही उस पर कार्रवाई की जा सकती है. पूर्व में जेट ने जो आदेश दिये हंै, उसका अनुपालन कराना जिला प्रशासन का काम है. पीड़ित अभिभावक यदि जेट में अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उस पर सुनवाई कर उचित आदेश पारित किया जायेगा.
जिला प्रशासन का आदेश भी नहीं मानते स्कूल प्रबंधन
रांची : जिला प्रशासन के आदेश को भी निजी स्कूल प्रबंधन नहीं मानते. जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा 13 अप्रैल तक निजी स्कूलों को अपनी बसों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया था. किसी ने ब्योरा नहीं दिया तो निर्धारित तिथि को बढ़ाकर 17 अप्रैल कर दिया गया. इसके बावजूद स्कूल प्रबंधनों ने जिला परिवहन कार्यालय को बस का ब्योरा नहीं दिया है.
शहर में सीबीएसइ व आइसीएसइ से मान्यता प्राप्त 70 से अधिक स्कूल हैं. अब तक मात्र 16 निजी स्कूलों ने ही बसों का ब्योरा दिया है. इनमें भी कई स्कूलों ने दिये गये फॉरमेट के अनुसार ब्योरा नहीं दिया है. जिला परिवहन पदाधिकारी नागेंद्र पासवान बार-बार प्रबंधन से बस का ब्योरा उपलब्ध कराने के लिए कभी इ-मेल तो कभी पत्र भेज रहे हैं.
क्या है फॉरमेट में
वाहन का नंबर, वाहन के मालिक का नाम, किस तरह के वाहन हैं, सीटों की क्षमता, निबंधन की तिथि, परमिट की वैधता, इंश्योरेंस की वैधता, फिटनेस की वैधता, टैक्स पेड की स्थिति.
किन-किन स्कूलों ने दिया है बस संबंधित ब्योरा
डीएवी पब्लिक स्कूल गांधीनगर,मनन विद्या डुमरदगा, बिशप वेस्टकॉट गल्र्स स्कूल डोरंडा, बिशप स्कूल ओल्ड एचबी रोड, केराली स्कूल सेक्टर-2, विवेकानंद विद्या मंदिर धुर्वा, जेवीएम श्यामली, सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल दीपाटोली, लोयला कन्वेंट स्कूल डुमरदगा, शिशु विकास मंदिर धुर्वा, मेटास सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट हायर सेकेंड्री, सेक्रेड हर्ट स्कूल, डीएवी कपिलदेव पब्लिक स्कूल कडरू, सफायर स्कूल, डीपीएस धुर्वा व ऑक्सफोर्ड स्कूल रांची.
17 अप्रैल तक सभी स्कूल प्रबंधन को बस का ब्योरा उपलब्ध करा देना है. जो स्कूल ब्योरा उपलब्ध नहीं करायेगा उसकी सूची तैयार कर उपायुक्त को दे दी जायेगी.
नागेंद्र पासवान
जिला परिवहन पदाधिकारी रांची

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