17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

100 करोड़ की जमीन पर विधायक की नजर

डाबर बेच रहा जमीन, भू-राजस्व विभाग की अनुमति डाबर इंडिया के लिए 15.39 एकड़ जमीन का किया गया था अधिग्रहण उपायुक्त ने कहा था कि डाबर को जिस काम के लिए जमीन दी गयी थी, वह पूरा नहीं हो रहा हो तो मूल रैयतों को जमीन लौटा दी जाये. रांची : देवघर में डाबर इंडिया […]

डाबर बेच रहा जमीन, भू-राजस्व विभाग की अनुमति

डाबर इंडिया के लिए 15.39 एकड़ जमीन का किया गया था अधिग्रहण

उपायुक्त ने कहा था कि डाबर को जिस काम के लिए जमीन दी गयी थी, वह पूरा नहीं हो रहा हो तो मूल रैयतों को जमीन लौटा दी जाये.

रांची : देवघर में डाबर इंडिया की 15.39 एकड़ जमीन पर सत्ताधारी दल के एक विधायक की नजर है. 40 के दशक में यह जमीन सरकार ने अधिग्रहीत कर डाबर को दी थी. डाबर अब उस जमीन की बिक्री कर रहा है. सत्ताधारी विधायक ने जमीन की रजिस्ट्री करा ली है. आज इस 15 एकड़ जमीन की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है. हाल में ही यह विधायक एक प्रमुख दल से टूट कर भाजपा में शामिल हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006-07 से ही डाबर इंडिया ने इस जमीन की बिक्री की कोशिश शुरू कर दी थी. वर्ष 2009 में देवघर के तत्कालीन उपायुक्त ने इस पर आपत्ति जतायी थी. उपायुक्त ने कहा था कि डाबर को जिस काम के लिए जमीन दी गयी थी, वह पूरा नहीं हो रहा हो तो मूल रैयतों को जमीन लौटा दी जाये.

इसके बाद डाबर इंडिया ने भू-राजस्व विभाग को निबंधन की अनुमति देने का आग्रह किया. उपायुक्त के अतिरिक्त शेष सभी अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि डाबर को जमीन बेचने का अधिकार है. भू-राजस्व विभाग ने भी पहले जमीन की बिक्री के अधिकार को गलत बताया, पर बाद में कहा कि डाबर को जमीन बेचने का अधिकार है.

उपायुक्त ने इसके बाद भी जमीन बिक्री की अनुमति नहीं दी. इसके बाद डाबर ने राज्य सरकार के मंतव्य के साथ जमीन रजिस्ट्री के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की. सरकार के निर्णय को आधार बनाते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अगर कोई वैधानिक अड़चन ना हो, तो रजिस्ट्री दो महीने में की जाये. इसके बाद डाबर ने विधायक के नाम जमीन रजिस्ट्री कर दी.

2013 में हुई जमीन की रजिस्ट्री

डाबर द्वारा बेची गयी जमीन की रजिस्ट्री चार अक्तूबर 2013 को हुई. इसके बाद सरकार ने 10.4.2014 को रजिस्ट्री रद्द करने संबंधी एलपीए दायर की. कोर्ट ने एक वर्ष की देरी पर उपायुक्त को फटकार भी लगायी. जिस डिप्टी रजिस्ट्रार ने जमीन को निबंधित किया, वही रजिस्ट्री रद्द करने की अपील कर रहे हैं. इस पर भी कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया है. अधिकारियों की सांठगांठ के कारण रैयतों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

15 लाख मुआवजे का हुआ था आदेश

रजिस्ट्री की याचिका दायर करनेवालों को कोर्ट ने 15 लाख रुपये रैयतों के लिए जमा करने का भी आदेश दिया था. हालांकि रैयतों ने मुआवजा लेने से इनकार करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को रैयतों के अधिकार और संताल परगना टेंनेंसी एक्ट के प्रावधानों को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था. फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है. रैयतों ने याचिका दायर कर जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है.

31 सौ रुपये में अधिग्रहीत हुई थी जमीन

40 के दशक में सरकार ने दर्जनों रैयतों को कुल 31 सौ रुपये मुआवजे देकर डाबर के लिए जमीन अधिग्रहीत की थी. आज 15 एकड़ जमीन की कीमत 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बतायी जा रही है. जानकारों के अनुसार देवघर के उस इलाके में एक डिसमिल जमीन की कीमत 8 से 10 लाख बतायी जाती है. देवघर में एकमुश्त इतनी बड़ी जमीन देख कर बड़े लोगों ने हाथ लगाया है, जबकि रैयत आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें