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कैदी रेड लाइट एरिया ले जाने का मामला: किरकिरी हुई, तो पुलिस ने रची नयी कहानी

कोडरमा:हत्या के मामले में सजायाफ्ता कैदी बैजू यादव को इलाज के लिए पहले रिम्स ले जाने और वापस लाने के क्रम में मंडल कारा कोडरमा न आकर आसनसोल के नियामतपुर थाना क्षेत्र के रेड लाइट एरिया में ले जाने के मामले में पुलिस की हुई किरकिरी के बाद पुलिस बचाव की मुद्रा में नजर आ […]

कोडरमा:हत्या के मामले में सजायाफ्ता कैदी बैजू यादव को इलाज के लिए पहले रिम्स ले जाने और वापस लाने के क्रम में मंडल कारा कोडरमा न आकर आसनसोल के नियामतपुर थाना क्षेत्र के रेड लाइट एरिया में ले जाने के मामले में पुलिस की हुई किरकिरी के बाद पुलिस बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है.
शनिवार को पुलिस कप्तान वाइएस रमेश ने कैदी को रेड लाइट एरिया में ले जाने के मामले में हवलदार अमानत खां सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए इनकी बरखास्तगी को लेकर कार्रवाई शुरू करने का दावा किया था. रविवार को पुलिस ने किरकिरी के बाद अपने बचाव में हवलदार अमानत खां के बयान पर कोडरमा थाना में मामला दर्ज कराया है. इसमें कैदी बैजू यादव व उसके साथियों पर झांसे में रख कोल्ड ड्रिंक पिलाने व बेहोश कर रेड लाइट एरिया में ले जाने का आरोप लगाया गया है. हवलदार के अनुसार 17 मार्च को कैदी बैजू यादव को स्कॉर्पियो (डब्ल्यूबी06-3433) से रिम्स ले जाया गया था.

इलाज के बाद जब वे लोग लौट रहे थे, तो पदमा स्थित लाइन होटल में खाना खाने के लिए रुके. इसी दौरान स्कॉर्पियो के चालक मोहन यादव व कैदी बैजू यादव ने फोन कर अपने कुछ साथियों को वहां बुला लिया. राहुल सिंह, सोनी, कालिया, मनीष नामक व्यक्ति उक्त होटल पहुंचे व सभी ने खाना खाया. इन्हीं लोगों ने पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक दिया. इसके बाद कोडरमा के लिए चले, पर नींद आ गयी. होश आया तो खुद को नियामतपुर के रेड लाइट एरिया में स्थानीय पुलिस के समक्ष पाया. पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी, जबकि बैजू यादव गायब था. पुलिस ने मोहन यादव को भी हिरासत में लिया था. इधर, कोडरमा पुलिस ने हवलदार के बयान पर मामला दर्ज करते हुए कैदी बैजू यादव व मोहन यादव को जेल भेज दिया है. अन्य आरोपी फरार हैं.

हत्या के सह आरोपी को चालक बना कर ले गये थे पुलिसवाले
पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि नौ जुलाई 2004 को बम मार कर बबलू यादव (पिता जयपत यादव) की हत्या झुमरीतिलैया स्थित बस स्टैंड के पास कर दी गयी थी. इस मामले में उस समय चार लोग संजय यादव पिता महाराज यादव, बैजू यादव पिता गोपाल यादव, पुतुल यादव पिता राजेंद्र यादव, मोहन यादव पिता ज्ञानी यादव को हत्या का आरोपी बनाते हुए कांड संख्या 26/05 दर्ज किया गया था. इस घटना के कुछ माह बाद पुतुल यादव व मोहन यादव ने सरेंडर कर दिया था, जबकि पुलिस ने वर्षों बाद 12 जुलाई 2009 को बैजू यादव को और पांच सितंबर 2009 को संजय यादव को गिरफ्तार किया था. अदालत में चली कार्यवाही के बाद आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. हाइकोर्ट में अपील के आधार पर फिलहाल पुतुल यादव व मोहन यादव जमानत पर जेल से बाहर है. इसी मोहन यादव को स्कॉर्पियो का चालक बना कर पुलिसकर्मी रांची ले गये थे. इसी प्रकरण से पुलिस की पूरी कहानी की सच्चई सामने आती है.
आवेदन के आधार पर दर्ज किया मामला
एसपी वाइएस रमेश ने कहा कि हवलदार ने जैसा आवेदन दिया, उसके आधार पर ही मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि इस आवेदन में कितनी सच्चई है, इसकी जांच तो बाद में होगी. हालांकि पुलिस की ओर से बचाव किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रयास नहीं हो रहा है. हत्या के सह आरोपी मोहन यादव को कैदी को ले जाने के लिए चालक के रूप में भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच नहीं हुई थी.

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