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एसपी ने की रेंजर के खिलाफ जांच बंद करने की अनुशंसा
एसपी ने की रेंजर के खिलाफ जांच बंद करने की अनुशंसा अमन तिवारी रांची : निगरानी ब्यूरो में एसपी रहे राजकुमार लकड़ा ने ग्रामीण एसपी, रांची के पद पर योगदान देने से एक दिन पहले रेंजर लालजीत प्रसाद सिन्हा के खिलाफ जांच बंद करने की अनुशंसा निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा से की थी. इस […]
एसपी ने की रेंजर के खिलाफ जांच बंद करने की अनुशंसा
अमन तिवारी
रांची : निगरानी ब्यूरो में एसपी रहे राजकुमार लकड़ा ने ग्रामीण एसपी, रांची के पद पर योगदान देने से एक दिन पहले रेंजर लालजीत प्रसाद सिन्हा के खिलाफ जांच बंद करने की अनुशंसा निगरानी आइजी मुरारी लाल मीणा से की थी. इस तर्क पर कि जांच के दौरान रेंजर के खिलाफ वनों की अवैध कटाई में शामिल होने से संबंधित ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं. जांच में रेंजर व उनकी पत्नी की संपत्ति की जांच की गयी, लेकिन उनके पास आय से अधिक संपत्ति से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले.
इधर, आइजी ने एसपी की इस अनुशंसा को अस्वीकार कर दिया है. आइजी ने मामले में फिर से समीक्षा करने का आदेश अधीनस्थ अधिकारियों को दिया है. मामले की समीक्षा फिर से शुरू हुई है.
उल्लेखनीय है कि सरकार के निर्देश पर निगरानी ने रेंजर के खिलाफ जांच वर्ष 2013 में शुरू की थी. मामला प्रारंभिक जांच संख्या 15/13 के अंतर्गत दर्ज किया गया था. रेंजर पर आरोप था कि लकड़ी के अवैध कारोबारियों ने रेंजर की मिलीभगत से अनगड़ा, सिल्ली और माहिलौंग सहित अन्य क्षेत्रों में वनों की कटाई की और लकड़ियों को दूसरे राज्यों तक पहुंचाया. राजकुमार लकड़ा ने रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया कि जांच के दौरान रेंजर ने अपने निदरेष होने से संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत किये थे.
वन विभाग के अधिकारियों द्वारा तैयार जिस रिपोर्ट के आधार पर रेंजर के खिलाफ जांच शुरू हुई थी. जांच के दौरान उन सभी लोगों का बयान लिया गया, लेकिन किसी ने भी ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया. एसपी ने यह अनुशंसा जांचकर्ता की रिपोर्ट पर की थी.
विभागीय जांच के दौरान जो तथ्य आये थे सामने
निगरानी जांच शुरू होने से पहले रेंजर के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई थी. जांच वन विभाग के अधिकारी मानेल टुडू, एसके सिन्हा, चंद्रमौली सिन्हा ने की थी. जब जांच रिपोर्ट सरकार के पास भेजी गयी थी, तब इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने मामले की निगरानी से जांच कराने पर निर्णय लिया था. रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख था कि रेंजर लकड़ी तस्करी करनेवाले के खिलाफ छापेमारी कर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण देते थे.
रिपोर्ट के मुताबिक वनों की अवैध कटाई कर तस्करी करनेवाले के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेवारी रेंजर को मिली थी. उन्हें छापेमारी के लिए जिप्सी (जेएच-01इ-2072) भी उपलब्ध करायी गयी, लेकिन जिप्सी दो माह तक उनके रेस्ट हाउस में ही खड़ी रही, जबकि इस दौरान सिल्ली से रास्ते लकड़ियां बंगाल भेजी गयी. रेंजर ने कार्रवाई नहीं की.
तत्कालीन सलाहकार ने दिया था जांच का निर्देश
जब रेंजर के खिलाफ जांच शुरू हुई थी, तब राज्यपाल के तत्कालीन सलाहकार मधुकर गुप्ता ने निगरानी के अधिकारियों को फोन कर कहा था कि मामले की ठीक से जांच होनी चाहिए. सलाहकार की ओर से यह भी बताया गया था कि मुङो ऐसी भी जानकारी मिली है कि लालजीत प्रसाद सिन्हा के खिलाफ जांच शुरू होने से पहले फाइल दब जाती है.
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