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बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट परियोजना को लेकर विस्थापित रैयतों ने रखी मांग नौकरी नहीं, तो 60 लाख दें

हजारीबाग: एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट को लेकर समाहरणालय सभाकक्ष में मंगलवार को बैठक हुई. बैठक में पकरी बरवाडीह परियोजना के लिए कुल जमीन अधिग्रहण का ब्योरा, अभी तक अधिग्रहित जमीन का ब्योरा, गैरमजरुवा, जंगल और रैयती जमीन का ब्योरा, जंगल जमीन का पट्टा कितने लोगों को मिला है, पट्टा लेने के लिए लोगों […]

हजारीबाग: एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट को लेकर समाहरणालय सभाकक्ष में मंगलवार को बैठक हुई.
बैठक में पकरी बरवाडीह परियोजना के लिए कुल जमीन अधिग्रहण का ब्योरा, अभी तक अधिग्रहित जमीन का ब्योरा, गैरमजरुवा, जंगल और रैयती जमीन का ब्योरा, जंगल जमीन का पट्टा कितने लोगों को मिला है, पट्टा लेने के लिए लोगों के दावे का ब्योरा पर्चा की गयी. ग्रामीणों ने विस्थापितों को मिलनेवाली पुनर्वास लाभ की जानकारी मांगी और प्रति एकड़ मुआवजा राशि और अन्य लाभ को लेकर अपनी मांगों से अधिकारियों को अवगत कराया.

विस्थापित रैयतों ने मुआवजा के तौर पर नौकरी के साथ प्रति एकड़ 15 लाख रुपये की मांग की. लेकिन नौकरी नहीं दिये जाने की स्थिति में मुआवजा की राशि 60 लाख रुपये प्रति एकड़ की मांग रखी. बैठक की अध्यक्षता आयुक्त सुरेंद्र सिंह मीना ने की. डीसी मुकेश कुमार, एसपी अखिलेश झा, एसडीओ संदीप कुमार, एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरएस राठी, विधायक निर्मला देवी, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, मुखिया प्रियंका, सुगन साव, कैलाश साव, रवींद्र गुप्ता, अवध साव, अहमद हुसैन, शशिकांत, रामसेवक महतो, मटुकधारी साव, रामचंद्र यादव समेत चार और लोग विस्थापितों की ओर से थे.

विस्थापितों को संतुष्ट करें : साव
बैठक की शुरुआत पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने की. उन्होंने कहा कि बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में हम विकास करना चाहते हैं. लेकिन जनता के हित को अनदेखी कर नहीं. एनटीपीसी या किसी भी कंपनी का प्रोजेक्ट लगे. लेकिन विस्थापितों की मांगों को पूरा करने के बाद ही. विस्थापित को संतुष्ट करने के बाद ही परियोजना शुरू हो.
तय हो मुआवजा : विधायक
विधायक निर्मला देवी ने कहा कि जनता ने मुङो चुना है. जनता की मांगों के लिए हमेशा खड़ा रहना मेरा कर्तव्य है. जनता के साथ हर हाल में खड़ा रहेंगे. कंपनियां विस्थापितों को प्रति एकड़ 60 लाख रुपये दे. क्योंकि जमीन के अंदर कोयला है. इससे कंपनी के लोगों को कहीं से नुकसान नहीं है. यही मांग लगभग सभी विस्थापितों ने रखा.

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