Advertisement
झारखंड के कजर्धारक नहीं लौटा रहे 3688 करोड़ रुपये
वर्ष 2013 की तुलना में एनपीए में करीब 445 करोड़ का इजाफा सबसे अधिक एनपीए रांची में 1061.87 करोड़ सबसे कम लातेहार में 38.69 करोड़ रांची : झारखंड के बैंकों में रखे लगभग 3688.34 करोड़ रुपये एनपीए (नन परफॉर्मिग एसेट) हो गया है. यानी यह रकम विभिन्न कजर्धारक बैंक को लौटा नहीं रहे हैं. दिसंबर-2014 […]
वर्ष 2013 की तुलना में एनपीए में करीब 445 करोड़ का इजाफा
सबसे अधिक एनपीए रांची में 1061.87 करोड़
सबसे कम लातेहार में 38.69 करोड़
रांची : झारखंड के बैंकों में रखे लगभग 3688.34 करोड़ रुपये एनपीए (नन परफॉर्मिग एसेट) हो गया है. यानी यह रकम विभिन्न कजर्धारक बैंक को लौटा नहीं रहे हैं. दिसंबर-2014 तक एनपीए की रकम वर्ष 2013 के मुकाबले 445 करोड़ रुपये अधिक है. एनपीए का बढ़ना बैंक व राज्य के आर्थिक सेहत के लिए खराब है. सबसे अधिक रकम रांची जिले में फंसी है. इसके बाद पू.सिंहभूम व धनबाद जिले का नंबर है.
इन तीनों जिलों में एनपीए की रकम क्रमश: 1061.87 करोड़, 437.43 करोड़ व 333.81 करोड़ रुपये है.
राज्य के विभिन्न कमर्शियल बैंकों में जमा रकम, ग्राहकों को दिया जाना वाला ऋण तथा एनपीए की रकम, तीनों में लगातार इजाफा हो रहा है. वर्ष 2013 में बैंकों में जमा कुल रकम एक लाख 8739 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2014 में बढ़ कर एक लाख 28 हजार करोड़ रुपये हो गयी है. इधर इन दोनों वर्षो में ऋण की रकम भी बढ़ी. वर्ष 2013 में बैंकों ने कुल 53 हजार 596 करोड़ रुपये बतौर ऋण दिये, वहीं वर्ष 2014 में ऋण की रकम 61 हजार 541 करोड़ रुपये हो गयी.
कृषि क्षेत्र की रिकवरी में इजाफा
कृषि सहित पूरे प्राथमिक क्षेत्र के लिए यह अच्छी खबर है. स्टेट लेबल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक क्षेत्र की लोन रिकवरी बढ़ रही है. वर्ष 2012 में 2051 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई. वहीं वर्ष 2013 में 3155 करोड़ तथा वर्ष 2014 में 4961 करोड़ रुपये ऋण की वसूली हुई है. यह आंकड़े बैंकों को किसान तथा कृषि क्षेत्र को ऋण देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.
देश भर में दो लाख 29 हजार करोड़ रुपये एनपीए
वर्ष 2013 तक देश भर के बैंकों का 63591 करोड़ रुपये एनपीए था. रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अब यह रकम बढ़ कर करीब दो लाख 29 हजार करोड़ हो गयी है. बैंक इंप्लॉयज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बेफी) की झारखंड इकाई ने कहा है कि सरकार विभिन्न बैंकों की 63,591 करोड़ की एनपीए राशि की वसूली कर ले, तो भारतीय बैंक व भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो जायेगी. बैंक के बकायेदारों की सूची लंबी है. गौरतलब है कि बेफी ने चार जुलाई 2014 को देश भर के 1129 बकाया दारों की सूची सार्वजनिक की थी.
सूक्ष्म व लघु उद्योग से नहीं हो पाती वसूली
सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिया जाने वाला ऋण सर्वाधिक एनपीए में बदला है. कुल एनपीए 3688.34 करोड़ में इस सेक्टर का हिस्सा करीब 44.3 फीसदी है. गैर प्राथमिकता क्षेत्र (कृषि व अन्य को छोड़) का हिस्सा 24.7 फीसदी तथा कृषि ऋण के रूप में वितरित रकम का 19.2 फीसदी हिस्सा एनपीए है. वहीं शेष (11.9 फीसदी) एनपीए राशि अन्य क्षेत्र की है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement