श्री राय ने बताया कि बाघों की संख्या में वृद्धिA को लेकर ठोस कदम उठाये जायेंगे. वर्ष 2015-16 में बाघों की मॉनिटरिंग के लिए कैमरा ट्रैप खरीदा जायेगा. स्थानीय ग्रामीणों एवं इको विकास समितियों के सहयोग से बाघ की मॉनिटरिंग की जायेगी एवं बाघ स्कैट एकत्र किया जायेगा. ग्रामीणों के सहयोग से वनप्राणियों एव प्राकृतवास की सुरक्षा के लिए कार्य किये जायेंगे. विधायक राधा कृष्ण किशोर ने पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या को लेकर सवाल उठाया है, कहा गया कि पिछले पांच साल में पलामू टाइगर रिजर्व पर 100 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं, दूसरी तरफ बाघ, सांभर व चीतल की संख्या लगातार घट रही है. सरकार को इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए. प्रभारी मंत्री श्री राय ने कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व के संरक्षण की मुकम्मल व्यवस्था की जायेगी. वनकर्मियों की कमी दूर की जायेगी. विभिन्न संस्थाओं की मदद से वृहत प्लॉन तैयार किया जायेगा.
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100 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी घटे बाघ
रांची: सरकार ने स्वीकार किया है कि पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या घट कर तीन रह गयी है, जबकि वर्ष 2007 की गणना में बाघों की संख्या 17 थी. यह गणना पगमार्क गणना विधि से की गयी थी, जबकि मार्च 2014 में बाघों की गणना स्कैट एनालैसिस के आधार पर की गयी. प्रभारी […]
रांची: सरकार ने स्वीकार किया है कि पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या घट कर तीन रह गयी है, जबकि वर्ष 2007 की गणना में बाघों की संख्या 17 थी. यह गणना पगमार्क गणना विधि से की गयी थी, जबकि मार्च 2014 में बाघों की गणना स्कैट एनालैसिस के आधार पर की गयी.
प्रभारी मंत्री सरयू राय ने यह भी स्वीकार किया कि सांभर व चीतल की संख्या में कमी है. यह भी बाघों की कमी का कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि पर्यावास में विगत वर्षो से लगातार व्यवधान रहा है. इसकी वजह से बाघों के पलामू टाइगर रिजर्व से दूसरे वनों में पलायन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. बाघों का प्री बेस भी कुछ वर्षो से लगातार कम हो रहा है. एक बाघ को खाने के लिए साल भर में कम से कम 385 चीतल की जरूरत पड़ती है.
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