फोटो—-ट्रैक पर संवाददाता, रांचीशिला सिन्हा को अपोलो के न्यूरो सर्जन डॉ गणेश कुमार ने नयी जिंदगी दी है. शिला के गरदन की (वेरीटीब्रल आर्टेरी) की दबी हुई नस का ऑपरेशन कर ठीक किया गया. मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है. बुधवार को ओपीडी में वह परामर्श के लिए आयी थी. डॉ गणेश ने बताया कि नस दबा हुआ होने के कारण मरीज को बार-बार बे्रन स्ट्रोक हो रहा था. अस्पताल में उसका डीजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) किया गया. एंजियोग्राफी कर यह पता किया गया कि नस कितनी दबी हुई है. इसके बाद नस में स्टैंड लगा दिया गया. इससे नस पूरी तरह से खुल गयी एवं खून का प्रवाह होने लगा. उन्होंने कहा कि डीएसए राज्य में पहली बार हुआ है. ऑपरेशन में आधा घंटा का समय लगा. मरीज को अब एक दवा पर रखा गया है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ पीडी सिन्हा ने बताया कि पूरे ऑपरेशन में मरीज को करीब 80 हजार रुपये का खर्च आया है. अस्पताल में इंडोस्कोपी से ब्रेन ट्यूकर का इलाज बिना सिर को खोले ऑपरेशन किया गया है. कुछ मशीन मंगायी गयी है, इससे हम इंडोस्कोपी से ब्रेन का इलाज कर सकेंगे.
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शिला को मिली नयी जिंदगी (पढ़ कर लगायें)
फोटो—-ट्रैक पर संवाददाता, रांचीशिला सिन्हा को अपोलो के न्यूरो सर्जन डॉ गणेश कुमार ने नयी जिंदगी दी है. शिला के गरदन की (वेरीटीब्रल आर्टेरी) की दबी हुई नस का ऑपरेशन कर ठीक किया गया. मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है. बुधवार को ओपीडी में वह परामर्श के लिए आयी थी. डॉ गणेश ने […]
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