फोटो—सुनीलआर्किड मेडिकल सेंटर में चिकित्सक डॉ कौशलेंद्र नारायण सिंह ने कहासंवाददाता, रांचीघुटने में दर्द के स्थायी इलाज में नी रिप्लेसमेंट (घुटने का प्रत्यारोपण) कारगर है. प्रत्यारोपण के बाद मरीज को 15 से 20 वर्ष तक किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. मरीज पहले की तरह अपना सारा काम करता है. यह मिथ्या है कि प्रत्यारोपण के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सकता, उसका ऑपरेशन सफल नहीं होता है. प्रत्यारोपण के समय यह जरूरी होता है कि मरीज का चयन सही तरीके से किया जाये. उक्त बातें रविवार ऑर्किड मेडिकल सेंटर में यूके में भारतीय मूल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ कौशलेंद्र नारायण सिंह ने कही. उन्होंने कहा कि यह देखना जरूरी होता है कि मरीज घुटने के प्रत्यारोपण के लिए फिट है या नहीं. मरीज अगर मोटा है, तो घुटने का प्रत्यारोपण नहीं करना चाहिए. मेडिकल अफसर डॉ रमन कुमार ने बताया कि डॉ कौशलेंद्र झारखंड के मरीजों के लिए अस्पताल में 25 फरवरी तक उपलब्ध रहेंगे. अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश अग्रवाल के साथ ऑपरेशन में अनुभवों को साझा कर रहे हैं. दोनों चिकित्सकों ने मिल कर दो मरीजों का बेहतर ऑपरेशन किया है.
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नी रिप्लेसमेंट है कारगर उपाय
फोटो—सुनीलआर्किड मेडिकल सेंटर में चिकित्सक डॉ कौशलेंद्र नारायण सिंह ने कहासंवाददाता, रांचीघुटने में दर्द के स्थायी इलाज में नी रिप्लेसमेंट (घुटने का प्रत्यारोपण) कारगर है. प्रत्यारोपण के बाद मरीज को 15 से 20 वर्ष तक किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. मरीज पहले की तरह अपना सारा काम करता है. यह मिथ्या है कि […]
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