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रांची नगर निगम क्षेत्र में 356 से अधिक मोबाइल टावर, 13 को ही लाइसेंस, नियम ताक पर रख कर लगे मोबाइल टावर
रांची: शहर में नियम कानून को ताक पर रख कर मोबाइल टावर लगाये जा रहे हैं. मोबाइल टावर के रेडिएशन से आम लोगों को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए इन टावरों को आवासीय कॉलोनी में लगाने पर रोक लगी हुई है. फिर भी मोबाइल कंपनियां अपनी गाढ़ी कमाई के लिए अब इन टावरों […]
रांची: शहर में नियम कानून को ताक पर रख कर मोबाइल टावर लगाये जा रहे हैं. मोबाइल टावर के रेडिएशन से आम लोगों को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए इन टावरों को आवासीय कॉलोनी में लगाने पर रोक लगी हुई है. फिर भी मोबाइल कंपनियां अपनी गाढ़ी कमाई के लिए अब इन टावरों को घनी आबादी के बीच भी स्थापित कर रही हैं. रांची नगर निगम के ही आंकड़ों के अनुसार शहर में 356 से अधिक मोबाइल टावर हैं. इन टावरों में से मात्र 13 मोबाइल टावर ही ऐसे हैं, जिन्होंने निगम से अनुमति ली है.
अधिकतर टावर मोबाइल कंपनियों ने भवन मालिकों की मिलीभगत से गली-मोहल्लों की छतों पर गाड़ दिये हैं. इधर नगर निगम को इन टावरों से टैक्स लेने भर की चिंता है. नगर निगम के प्रभारी सीइओ ओमप्रकाश ने मंगलवार को आदेश जारी किया कि शहर में जो भी मोबाइल टावर बिना परमिशन के लगाये गये हैं, उन्हें हर हाल में निगम से एक सप्ताह में लाइसेंस लेना होगा. अन्यथा उन्हें गिरा दिया जायेगा.
खतरनाक है मोबाइल टावरों का रेडिएशन
शहर में लगाये गये मोबाइल टावर खतरनाक हैं. इनसे निकलनेवाले इलेक्ट्रोमैगAेटिक रेडिएशन से लोगों में चिड़चिड़ाहट बढ़ रही है. रात को नींद नहीं आने की बीमारी अब सामान्य हो चली है. मस्तिष्क पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है. मोबाइल टावर के रेडिएशन से पशु-पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं. कौआ, गौरैया व चमगादड़ की संख्या लगातार कम होती जा रही है.
यह है प्रक्रिया
मोबाइल कंपनी नगर निगम में यह आवेदन देते हैं कि उसे फलां मोहल्ले के फलां के घर में टावर लगाना है. आवेदन मिलने के बाद निगम के अभियंता संबंधित मोहल्ले के भवन मालिक के घर की जांच करते हैं. जांच के दौरान यह देखा जाता है कि संबंधित घर घनी आबादी से दूर है या नहीं, अगर भवन घनी आबादी से दूर है तो उसके स्ट्रकचर को देखा जाता है कि वह कितना तक का भार सहने लायक है. जांच में सभी कुछ उपयुक्त पाये जाने के बाद निगम उस भवन में टावर लगाने की अनुमति दे देता है.
शहर में मोबाइल टावर घनी आबादी के बीच लगाये जा रहे हैं, जो गलत है. मोबाइल टावर के विकिरण से लोगों में चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, रात को नींद नहीं आने की समस्या बढ़ रही है. पशु-पक्षी भी इससे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. इसलिए निगम कड़ाई से अभियान चलाये.
डॉ नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद
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