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न पैसा देंगे, न होने देंगे जांच

रांची: दो अगस्त से राजधानी में सिटी बसों का परिचालन बंद है. बसों के सुचारू परिचालन के लिए झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेटीडीसी) ने शनिवार को सिटी बसों का संचालन कर रही आस्क सिक्यूरिटी के पदाधिकारी सहित इसके कर्मचारियों (चालक, कंडक्टर व खलासी) के साथ वार्ता की, लेकिन यह बेनतीजा रही. शनिवार को हुई वार्ता […]

रांची: दो अगस्त से राजधानी में सिटी बसों का परिचालन बंद है. बसों के सुचारू परिचालन के लिए झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेटीडीसी) ने शनिवार को सिटी बसों का संचालन कर रही आस्क सिक्यूरिटी के पदाधिकारी सहित इसके कर्मचारियों (चालक, कंडक्टर व खलासी) के साथ वार्ता की, लेकिन यह बेनतीजा रही.

शनिवार को हुई वार्ता में बस कर्मचारियों ने जेटीडीसी प्रबंधन के समक्ष दो मांगे रखी थी. पहली मांग, सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने और दूसरी मांग, प्रति बस 2500 रुपये के बजाय 2100 रुपये जेटीडीसी को प्रतिदिन देने की थी.

जेटीडीसी ने दो मांगें मानी
जेटीडीसी प्रबंधन ने कर्मचारियों की दोनों मांगें मान ली. पर, जेटीडीसी के प्रबंध निदेशक सुनील कुमार ने बस कंडक्टरों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह नियमित रूप से सिटी बसों में यात्री टिकट की जांच करें. अगर कोई बेटिकट मिला, तो यात्री सहित बस के कंडक्टर व खलासी पर भी कानूनी कार्रवाई की जायेगी. जेटीडीसी प्रबंधन का यह प्रस्ताव इन कर्मचारियों को नागवार गुजरा और कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहने का निर्णय लिया.

यह ब्लैकमेलिंग है
जेटीडीसी प्रबंधन इसे सरकार के साथ ब्लैकमेलिंग मान रहा है. एमडी ने मामले की शिकायत नगर विकास सचिव से की है. सूत्रों के अनुसार सिटी बसों में आधे से अधिक यात्रियों से पैसे तो लिये जाते हैं, लेकिन मांगना पर भी उन्हें टिकट नहीं दिया जाता. इससे पैसे बस कर्मचारियों की जेब में चले जाते हैं व सरकार को राजस्व की क्षति होती है.

सरकार ङोल रही है नुकसान
जेटीडीसी को इन बसों के संचालन से कोई वित्तीय लाभ नहीं होता. बस किराये के रूप में मिली राशि गाड़ी के तेल, कर्मचारियों के वेतन व मेंटनेंस में ही खर्च हो जाती है. पिछले तीन वर्षो में जेटीडीसी ने बसों के रख-रखाव पर एक करोड़ से अधिक रकम खर्च की है. जैसे-जैसे बसें पुरानी हो रही हैं, इनका मेंटेनेंस खर्च बढ़ रहा है.

आठ के बदले सिर्फ दो रूट
कुल 70 सिटी बसों के परिचालन के लिए जेटीडीसी ने आठ मार्ग (रूट) का चयन किया था. इनमें बिरसा चौक से कचहरी, बिरसा चौक से हरमू रोड होते हुए रातू रोड चौराहा, रातू रोड चौराहा से बरियातू होते हुए बूटी मोड़, बूटी मोड़ से कांटाटोली होते हुए धुर्वा, कचहरी से प्रोजेक्ट भवन, प्रोजेक्ट भवन से रातू रोड होते हुए पिस्का मोड़ तथा बिरसा चौक से रातू रोड चौराहा होते हुए कांके तक के मार्ग शामिल थे. इधर इन बसों का परिचालन सिर्फ कमाईवाले दो रूट बिरसा चौक से कचहरी तथा किशोरी यादव चौक तक किया जा रहा है. दो रूटों में ही बसों के परिचालन के कारण ज्यादातर बसें सरकारी बस स्टैंड व धुर्वा बस डिपो में खड़ी रहती हैं. अभी हालत यह है कि 70 में से 40 बसें डिपो में जंग खा रही हैं.

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