रांची: नियमों की अनदेखी कर राज्य के ग्रामीण इलाकों में निजी नर्सिग स्कूल खोले जा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, एएनएम व जीएनएम (ग्रेड-ए नर्स) का प्रशिक्षण शुरू करने से पहले राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है.
एनओसी के लिए भारतीय परिचारिका परिषद (एनआइसी) ने कई मापदंड तय किये हैं, जिनका पालन नहीं किया जा रहा है. अनगड़ा प्रखंड के चिलदाग में एनआर स्कूल ऑफ नर्सिग भी उनमें में से एक है, जिसे मान्यता भी नहीं मिली है. लगभग 50 डिसमिल जमीन पर कुछ कमरे बना कर इसका संचालन किया जा रहा है. संचालक का दावा है कि उसके यहां अध्ययनरत एससी, एसटी व ओबीसी छात्रओं को कल्याण विभाग की ओर से शिक्षण शुल्क व छात्रवृत्ति भी दी जाती है.
इधर, महिलौंग-होरहाप मार्ग पर भी स्थित बिरसा इंस्टीटयूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज भी मापदंड पूरा नहीं करनेवाला नर्सिग स्कूल है. यह संस्थान खुद को तमिलनाडु के एक विवि तथा कनार्टक स्टेट ओपेन यूनिवर्सिटी से संबद्ध बताता है. इस संस्थान में तथाकथित रूप से होटल मैनेजमेंट, पारा मेडिकल, नर्सिग तथा बीबीए, एमसीए व एमबीए तक की पढ़ाई होती है. राज्य में एएनएम व जीएनएम के निजी स्कूलों की संख्या लगभग 30 है.
प्रति वर्ष 350 नर्स
सरकार के 10 एएनएम व तीन जीएनएम स्कूलों से हर वर्ष करीब 350 नर्स व ग्रेड वन नर्स निकलती हैं. फैकल्टी की कमी से इनके शिक्षण स्तर पर प्रभाव पड़ता है.