कर्फ्यू के दौरान निकले थे इलाज कराने
अजय दयाल,रांची
डोरंडा के हाथीखाना स्थित काली मंदिर रोड निवासी व्यवसायी सुनील चंद्र घोष लगभग 25 वर्ष (एक नवंबर 1990) से लापता हैं. इस मामले में डोरंडा थाने में अपहरण व हत्या की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इन 25 वर्षो में व्यवसायी पुत्र संजय घोष व परिजन इस मामले में केस को फिर से खोल कर जांच की मांग करते रहे हैं, लेकिन पुलिस इस मामले को दरकिनार करती रही.
गृह सचिव को आवेदन दिये जाने के बाद रांची के आला पुलिस अधिकारियों ने इस केस में जांच की जिम्मेदारी डोरंडा पुलिस को सौंपी. लेकिन, डोरंडा पुलिस ने मामले को सूत्रहीन बता कर अंतिम रिपोर्ट सौंप दी. संजय घोष के अनुसार उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इस कारण वह अपने पिता की तलाश करने में असमर्थ हैं.
क्या था मामला: लापता व्यवसायी के पुत्र संजय घोष के मुताबिक चावल के हॉल सेल का व्यवसाय करनेवाले उनके पिता सुनील चंद्र घोष एक नवंबर 1990 को डोरंडा से डॉक्टर को दिखाने के लिए हिनू गये थे. उस समय बाबरी मसजिद के मामले को लेकर रांची में दंगा हुआ था. उस दौरान शहर में कफ्यरू भी लगा था. कफ्यरू में ढील मिलने के दौरान ही सुनील घोष डॉक्टर को दिखाने के लिए घर निकले थे, लेकिन उसके बाद वह नहीं लौटे.
वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले में डोरंडा के युनूस चौक निवासी मो तसलीम, अब स्वर्गीय मो जमाल उर्फ चुकुन, मो नुर उर्फ मोहम्मद गुदून व चालक नईम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. संजय घोष का आरोप है कि मो तसलीम ने मेरे घर पर बम फेंका था. उसी समय मेरे पिता से उसका विवाद हुआ था. उसने ही मेरे पिता की हत्या कर शव को गायब कर दिया है. शव को चालक मो नईम ने अपने वाहन से ठिकाने लगा दिया है.
मो तसलीम से पूछताछ पर साफ हो जायेगा मामला
संजय घोष का कहना है कि मो तसलीम अभी ओड़िशा जेल में बंद है. उससे यदि पुलिस उससे कड़ाई से पूछताछ करे, तो मामला पूर्ण रूप से उजागर हो जायेगा. वर्ष 2012 में एससपी के आदेश पर जांच भी की गयी थी, लेकिन डोरंडा पुलिस ने कांड को सूत्रहीन बता कर केस को क्लोज कर दिया है.