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राज्य में सबसे अधिक रेडियो प्रेमी रांची में

संजय रांची : ऑल इंडिया रेडियो को आजादी के बाद (1956 में) आकाशवाणी का नाम दिया गया. इसके तहत तीन अक्तूबर 1957 से बहुरंगी कार्यक्रम विविध भारती का प्रसारण शुरू हुआ था. पुरानी पीढ़ी अब तक विविध भारती के जयमाला, मन चाहे गीत, भूले-बिसरे गीत, संगीत सरिता व छाया गीत जैसे कार्यक्रमों को नहीं भूल […]

संजय
रांची : ऑल इंडिया रेडियो को आजादी के बाद (1956 में) आकाशवाणी का नाम दिया गया. इसके तहत तीन अक्तूबर 1957 से बहुरंगी कार्यक्रम विविध भारती का प्रसारण शुरू हुआ था.
पुरानी पीढ़ी अब तक विविध भारती के जयमाला, मन चाहे गीत, भूले-बिसरे गीत, संगीत सरिता व छाया गीत जैसे कार्यक्रमों को नहीं भूल पायी है. आकाशवाणी पर समाचार सुनाते रामानुज प्रसाद मिश्र, देवकी नंदन पांडेय व अशोक वाजपेयी भी सबकी स्मृति में हैं.
यह है रेडियो का जादू. मनोरंजन व सूचना का सहज-सुलभ तथा नि:शुल्क साधन. सैकड़ों चैनलों के साथ टीवी के इस दौर में भी यह जादू भारत के छोटे-बड़े शहरों से लेकर मुल्क की सरहद (कारगिल में एक क्षेत्रीय रेडियो स्टेशन है) तक सिर चढ़ कर बोलता है. अपनी रांची में भी, जहां राज्य भर में सबसे अधिक रेडियो प्रेमी हैं, शहरी व ग्रामीण दोनों, बगैर एफएमवाले पलामू व गिरिडीह में भी रेडियो तुलनात्मक रूप से अधिक सुना जाता है.
रांची जिले के करीब 1.37 लाख घरों में रेडियो-ट्रांजिस्टर हैं. इनमें 70 हजार से अधिक रेडियो सेट गांवों में तथा 67 हजार से अधिक शहर में हैं. इनके सहारे नयी-पुरानी पीढ़ी रेडियो धूम व दूसरे एफएम सुनते खुद को टेंशन-फ्री (तनाव रहित) कर रही है. मोबाइल पर तथा ऑनलाइन रेडियो सुननेवाले श्रोता अलग हैं. दरअसल निजी एफएम चैनलों के आने से ही रांची व जमशेदपुर में खूब रेडियो सेट बिके हैं. इन दोनों शहरों में रेडियो धूम 104.8 एफएम सहित अन्य एफएम हैं, जिसे शहरी सहित ग्रामीण इलाके में भी बड़े चाव से सुना जाता है.
दरअसल फ्रिक्वेंसी मॉडूलेशन (एफएम) की खासियत इसकी शोर (न्वॉयज) रहित सुरीली आवाज है. चेन्नई में 23 जुलाई 1977 को शुरू हुए पहले सरकारी एफएम स्टेशन के बाद भारत सरकार ने वर्ष 1990 से इसका खूब विस्तार किया. सभी बड़े शहरों में सरकारी एफएम स्टेशन चालू किये गये. पर असली बदलाव वर्ष 2000 व इसके बाद आया, जब देश भर के कई शहरों के लिए 108 निजी एफएम स्टेशनों के लिए फ्रिक्वेंसी की नीलामी हुई. पहला निजी एफएम रेडियो बेंगलुरु में तीन जुलाई 2001 को शुरू हुआ. बाद में रांची (2008) व जमशेदपुर (2009) भी इसका हिस्सा बने.
यहां रेडियो धूम की खूब धूम रही है. इस चैनल के कार्यक्रम यूथ के लिए मार्निग मस्ती, सभी महिलाओं के लिए धूम उ-लाला व सबके लिए गीतों का फरमाइशी कार्यक्रम डेडिकेशन हर दिल अजीज हैं. बेशक! रेडियो की जड़ें झारखंड के साथ-साथ देश भर में गहरी हैं. तभी तो बिहार कृषि विवि, भागलपुर ने चावल की एक वेराइटी का नाम ही दिया है रेडियो चावल.

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