त्रइस कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे सत्यजीत रेएजेंसियां, नयी दिल्लीबांग्लादेशी साहित्य दुनिया की एक प्रमुख लेखिका द्वारा लिखित एक कहानी का एक प्रमुख भारतीय प्रकाशक द्वारा अंगरेजी में अनुवाद कराया जा रहा है. इस कहानी की खास बात यह है कि दिग्गज फिल्मकार सत्यजीत रे इस कहानी पर एक फिल्म बनाना चाहते थे. रे बांग्लादेशी उपन्यासकार और लघुकथा लेखिका सेलिना हुसैन की इस कहानी से इतने प्रभावित थे कि उन्हांेने लेखिका को तीन पत्र लिखे. कहा कि इस कहानी पर एक अच्छी फिल्म बनायी जा सकती है.ढाका से फोन पर हुसैन ने कहा, ‘इस पुस्तक का फ्रेंच लेखक पास्कल जिंक द्वारा अनुवाद किया जा रहा है. इसका प्रकाशन भारत में रूपा करेगा.’ उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के इस साल में ही कभी बाजार में उतरने की उम्मीद है. यह कहानी पहले एक पत्रिका में छपी थी. बाद में इसे ‘हैंगर, नदी, ग्रेनेड’ नाम के एक उपन्यास के रूप मंे विकसित किया गया, जिसकी कहानी की पृष्ठभूमि वर्ष 1971 के बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम से जुड़ी है.
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बांग्लादेशी लेखिका की कहानी का होगा अंगरेजी अनुवाद
त्रइस कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे सत्यजीत रेएजेंसियां, नयी दिल्लीबांग्लादेशी साहित्य दुनिया की एक प्रमुख लेखिका द्वारा लिखित एक कहानी का एक प्रमुख भारतीय प्रकाशक द्वारा अंगरेजी में अनुवाद कराया जा रहा है. इस कहानी की खास बात यह है कि दिग्गज फिल्मकार सत्यजीत रे इस कहानी पर एक फिल्म बनाना चाहते थे. रे […]
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