लखनऊ. बनारस बीड्स के नाम से दुनियाभर में मशहूर बनारस के कांच के मोती बनानेवाले उद्यमियों और कारीगरों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि जियोग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्टरी ऑफ इंडिया ने इस कला की नायाब पहचान बनाये रखने और इसके खत्म हो रहे कारोबार में नयी जान फूंकने के इरादे से ‘जीआइ’ प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला किया है. इसके बाद बनारस और उसके समीपवर्ती कुछ इलाकों को छोड़ कर किसी अन्य जगह पर बने ऐसे उत्पाद को बनारसी कांच के मोती के नाम पर नहीं बेच जा सकेगा. ट्रेड मार्क्स एंड जियोग्राफिकल रजिस्ट्रेशन के सहायक रजिस्ट्रार सीजी नायडू ने बताया कि जीआइ प्रमाण-पत्र देने के बारे में आवेदन मंजूर किया जा चुका है और गजट अधिसूचना जारी की गयी है. अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि पूरी होने के बाद प्रमाणपत्र जारी कर दिया जायेगा. बनारस कांच के मोती एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि हम प्रमाणपत्र के लिए पिछले तीन साल से कोशिश कर रहे थे. एसोसिएशन और निर्यात संवर्धन आयुक्त, लघु उद्योग विभाग के प्रयासों का असर जल्द ही दिखेगा.
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‘बनारस के कांच के मोती’ को मिली विशिष्ट पहचान
लखनऊ. बनारस बीड्स के नाम से दुनियाभर में मशहूर बनारस के कांच के मोती बनानेवाले उद्यमियों और कारीगरों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि जियोग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्टरी ऑफ इंडिया ने इस कला की नायाब पहचान बनाये रखने और इसके खत्म हो रहे कारोबार में नयी जान फूंकने के इरादे से ‘जीआइ’ प्रमाणपत्र जारी करने का […]
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