-30 साल के युवक के शरीर में प्रत्यारोपित हुआ 16 साल के किशोर का दिल-50 मिनट में बीमार दिल को निकाल कर स्वस्थ दिल प्रत्यारोपित किया डॉक्टरों ने-दिल्ली एनसीआर में पहली बार दिल को ले जाने के लिए बना ‘ग्रीन कॉरीडोर’एजेंसियां, नयी दिल्लीफोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने 100 मिनट में 30 वर्ष के एक आइटी पेशेवर को नयी जिंदगी दे दी. ‘इडियोपैथिक डाइलेटिड कार्डियो मायोपैथी’ से पीडि़त पेशेवर के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. उसे दो महीने पहले दिल प्रत्यारोपण की सलाह दी गयी थी. उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है.अस्पताल के हृदय संबंधी सर्जरी के निदेशक तथा समन्वयक और इस मामले के मुख्य ऑपरेटिंग सर्जन डॉक्टर जेडएस मेहरवाल ने कहा कि जब मालूम हुआ कि 16 साल के युवक का दिल दान में मिल रहा है, तो पेशेवर को एडमिट कर ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गयी. डॉक्टरों की एक टीम को दानदाता के पास एफएमआरआइ गुड़गांव भेजा गया. दिल पहुंचने में देर न हो जाये, एमएमआरआइ और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हर्ट इंस्टीट्यूट के बीच गुड़गांव और दिल्ली पुलिस की मदद से 32 किलोमीटर का ‘ग्रीन कॉरिडोर’ तैयार किया गया. 29 मिनट में एंबुलेंस दिल लेकर आ गया. दिल मिलते ही पीडि़त को हृदय और फेफड़ेवाली मशीन पर रखा गया. 50 मिनट के भीतर डॉक्टरों ने बीमार दिल निकाल कर स्वस्थ दिल को प्रत्यारोपित कर दिया. इसके तत्काल बाद दिल धड़कने लगा.क्या होती है जटिलतादिल की सर्जरी में सबसे बड़ी जटिलता बीमार दिल हटाने और नये दिल के प्रत्यारोपण के बीच का समय होता है, क्योंकि इस दौरान दान में मिला दिल बिना ऑक्सीजन के होता है.
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100 मिनट में मिली आइटी पेशेवर को मिली नयी जिंदगी
-30 साल के युवक के शरीर में प्रत्यारोपित हुआ 16 साल के किशोर का दिल-50 मिनट में बीमार दिल को निकाल कर स्वस्थ दिल प्रत्यारोपित किया डॉक्टरों ने-दिल्ली एनसीआर में पहली बार दिल को ले जाने के लिए बना ‘ग्रीन कॉरीडोर’एजेंसियां, नयी दिल्लीफोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने 100 मिनट में 30 वर्ष के […]
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