रांची: आवास बोर्ड द्वारा लॉटरी से हुए मकान, फ्लैट व भूखंडों के आवंटन रद्द हो सकते हैं. नगर विकास विभाग ने महाधिवक्ता के मंतव्य के आलोक में आवास बोर्ड को कार्रवाई करने को कहा है. यह आवंटन वर्ष 2011 में रांची प्रमंडल में हुआ था. लॉटरी आवंटन में अनियमितता की शिकायत आयी थी.
क्या है मामला : आवास बोर्ड ने 20 अगस्त 2011 को हरमू, अरगोड़ा व बरियातू स्थित मकान, फ्लैट व भूखंडों का लॉटरी के तहत आवंटन किया था. 500 परिसंपत्तियों के लिए हजारों लोगों ने आवेदन दिया था. बाद में लॉटरी में अनियमितता व नियमों का पालन नहीं करने की शिकायत पर विभाग ने मामले की जांच करवायी. इधर, आवास बोर्ड ने नवंबर 2011 से लॉटरी से आवंटित भूखंडों पर निर्माण कार्य रोकने के साथ ही इसकी खरीद –बिक्री पर रोक लगा दी.
जांच रिपोर्ट में क्या मिला : नगर विकास विभाग ने प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम बनायी थी. टीम में निर्मल भुइयां (संयुक्त सचिव आवास बोर्ड), बीपीएल दास (उप-सचिव वित्त विभाग) और मनोहर मरांडी (सचिव आवास बोर्ड) शामिल थे. जनवरी 2012 में गठित इस टीम को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन जांच दल ने वर्ष के अंत में अपनी रिपोर्ट सौंपी. हालांकि रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया.
नगर विकास मंत्री का मंतव्य : नगर विकास विभाग ने जांच रिपोर्ट की संचिका विभागीय मंत्री के पास निर्णय के लिए भेजी थी. वहां काफी दिनों तक संचिका पड़ी रही. अजरुन मुंडा की सरकार गिरने के ठीक पहले पांच जनवरी 2013 को विभागीय मंत्री ने इस संचिका पर टिप्पणी की. लिखा कि जांच प्रतिवेदन में यह अंकित किया गया है कि जांच के दौरान गलत तरीके से किसी को लाभान्वित करने की पुष्टि नहीं हुई है. लॉटरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गयी है. उपयरुक्त तथ्यों के आलोक में आवास बोर्ड को निर्देश दिया जाता है कि वह नियमानुसार विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए निष्पादित लॉटरी के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई करे.