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ओके…22 वर्ष से अगरबत्ती बना रहे हैं 65 वर्षीय वासदेव दास व उनका परिवार

फोटो : अगरबत्ती बनाते घर के सदस्य हेडलाइन…अगरबत्ती से ही परिवार की रोजी-रोटी नगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के चेचरिया ग्राम निवासी वासदेव दास विगत 22 वर्ष से अगरबत्ती बना कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. उनके परिवार के सदस्यों ने भी अगरबत्ती बनाने को अपना पेशा बना लिया है. वासदेव दास की उम्र […]

फोटो : अगरबत्ती बनाते घर के सदस्य हेडलाइन…अगरबत्ती से ही परिवार की रोजी-रोटी नगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के चेचरिया ग्राम निवासी वासदेव दास विगत 22 वर्ष से अगरबत्ती बना कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. उनके परिवार के सदस्यों ने भी अगरबत्ती बनाने को अपना पेशा बना लिया है. वासदेव दास की उम्र 65 वर्ष है. आज तक उन्हें वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिलती है. वासदेव दास बताते हैं कि इस काम में उन्हें काफी लाभ तो नहीं होता है, लेकिन वे अपनी इच्छा से जब समय मिलता है, इस काम को कर लेते हैं. इस कार्य में उनकी पत्नी, पुत्र व पतोहू भी सहयोग करती है. उस परिवार के आजीविका का एक मात्र साधन अगरबत्ती बनाना है. गया, पटना व वाराणसी से लाते हैं अगरबत्ती बनाने का सामान बासदेव दास के पुत्र संजय दास बताते हैं कि अगरबत्ती बनाने के लिए केमिकल्स व रेपर वे गया, पटना व वाराणसी से लाते हैं. उनके पास पूंजी का अभाव है. यदि पूंजी होती, तो वे बड़े पैमाने पर इस कार्य को करते, जिससे कुछ लोगों को रोजगार भी मिलता. कई नामों से बनायी जाती है अगरबत्ती संजय ने बताया कि घर की बनायी अगरबत्ती बाजार में रोज डे, लिसा गोल्ड, चार गुलाब, फैंसी मोगरा व श्री गणेश के नाम से बिकती है. वे अगरबत्ती को बेचने दूर-दराज नहीं जाते हैं. दुकानदार उनके घर से ही अगरबत्ती ले जाते हैं. एक दिन में 50 से 100 रुपये का काम होता है संजय ने बताया कि अपना काम है घर के सभी सदस्य मिल कर 50 से 100 रुपये का काम कर लेते हैं. इसी से उनकी आजीविका चलती है.

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