रांचीः निर्दलीय विधायकों को राज्य की चिंता सता रही है. निर्दलीयों का कहना है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो–कांग्रेस गंठबंधन सरकार को केवल विकास की शर्त पर समर्थन दिया गया है. पहले समर्थन देने के लिए हेमंत के पसीने छुड़ा दिये. दर–दर घुमाया. अब विकास का दम भर रहे हैं.
एनोस एक्का ने राज्यहित में 15 सूत्री मांगों को रखा है. इसमें राज्य के विकास का कोई कोना नहीं छोड़ा गया है. लिस्ट में वृद्धों को पेंशन सुविधा देने से लेकर जल, जंगल और जमीन पर ग्रामसभा को अधिकार देना तक शामिल है. हरिनारायण राय ने कहा है कि उन्होंने राज्यहित और लोकहित में समर्थन दिया है. राज्य के विकास के लिए झामुमो–कांग्रेस गंठबंधन ने समुचित योजना बनाने और सड़कों की स्थिति में सुधार लाने को कहा है. इन्हीं शर्तो पर गंठबंधन को समर्थन दिया गया है.
विधायक गीता कोड़ा ने अपने कार्यकर्ताओं का मन रखते हुए समर्थन देने की बात कही है. गीता कोड़ा की शर्त है कि चाइबासा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो. बंधु तिर्की और चमरा लिंडा ने अपनी पुरानी मांगों के साथ समर्थन पत्र सौंपा है. बंधु आदिवासियों की समस्याएं सुलझाने और स्थानीय नीति तय करने के नाम पर समर्थन देने की बात कर रहे हैं. वहीं, चमरा लिंडा ने आदिवासी छात्र मोरचा की पुरानी मांग सरना धर्म कोड लागू करने और स्थानीयता का समाधान निकालने का वादा लिया है. दो अन्य विधायक अरूप चटर्जी और विदेश सिंह को भी अपने–अपने क्षेत्रों की चिंता है. दोनों ने अपने–अपने क्षेत्र में विकास की शर्त पर समर्थन सौंपा है.