स्टॉकहोम. नोबेल पुरस्कार विजेताओं की ओर से अनूठे तरीके से हस्ताक्षर करने की परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष के शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने एक कुर्सी के नीचे लिखा है, ‘मेरे लिए यह कुर्सी अभी भी खाली है और लाखों बेसहारा बच्चों को बुला रही है, उनका इंतजार कर रही है.’ नोबेल संग्रहालय के क्यूरेटर तोबियास देगशेल ने बताया कि नोबेल की कुर्सियां संग्रहालय की शिल्पकृति मात्र नहीं है, बल्कि अतिथियों की एक पुस्तिका भी है, जिसमें संग्रहालय आने वाले नोबेल विजेताओं के हस्ताक्षर दर्ज होते हैं. सत्यार्थी के आटोग्राफ के अलावा संग्रहालय में भारत से जुड़ी एक ओर सामग्री- अमर्त्य सेन की साइकिल रखी हुई है. सेन को 1998 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था. देगशेल ने कहा, ‘अर्थ जगत में साइकिल सामान्य उपकरण नहीं है, लेकिन अमर्त्य सेन की साइकिल ने उनके शोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.’ सेन के काम का बड़ा हिस्सा इस पर केंद्रित रहा है कि समाज के कमजोर तबके के लोगों की स्थिति क्या है और उनमें कैसे सुधार हो. संग्रहालय में इस तरह के 230 से ज्यादा दस्तखत हैं. दस्तखत से अपनी निशानी छोड़ने वाले नामी चेहरों में राष्ट्रपति बराक ओबामा, तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा, अर्थशास्त्री जॉन नैश और डीएनए के खोजकर्ता जेम्स वाटसन का नाम शामिल है.
नोबेल के संग्रहालय में सत्यार्थी के हस्ताक्षर वाली कुर्सी, अमर्त्य की साइकिल
स्टॉकहोम. नोबेल पुरस्कार विजेताओं की ओर से अनूठे तरीके से हस्ताक्षर करने की परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष के शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने एक कुर्सी के नीचे लिखा है, ‘मेरे लिए यह कुर्सी अभी भी खाली है और लाखों बेसहारा बच्चों को बुला रही है, उनका इंतजार कर रही है.’ नोबेल […]
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