रांची: झारखंड में केंद्र के सहयोग से चल रही जलापूर्ति योजना के लिए अब राशि नहीं मिलेगी. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने इस संबंध में झारखंड सरकार को स्पष्ट कर दिया है. नगर विकास विभाग को लिखे गये पत्र में उन्होंने कहा है कि झारखंड को धनबाद, रांची और चाईबासा शहरी जलापूर्ति योजना की राशि नहीं मिलेगी.
उन्होंने कहा है कि मार्च 2014 में ही जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनरुद्धार योजना (जेएनएनयूआरएम) की अवधि समाप्त हो गयी है. केंद्र ने इस योजना को और विस्तार नहीं देने का निर्णय लिया है. इससे अब योजना से संबंधित राशि खुद राज्य को वहन करना होगा. मालूम हो कि यह तीनों योजनाएं केंद्र सरकार की ओर से जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनरुद्धार योजना (जेएनएनयूआरएम) के तहत संचालित की जा रही थीं.
500 करोड़ और मांगने की तैयारी: राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार से 500 करोड़ रुपये की मांग की जा रही है. इसमें जेएनएनयूआरएम की सभी योजनाएं शामिल की गयी हैं. समेकित आवासीय योजना, सिवरेज-ड्रेनेज योजना, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट, बेसिक सर्विसेज टू अरबन पूअर, जलापूर्ति योजना, अरबन मास ट्रांजिट सिस्टम भी शामिल हैं. संचिका मुख्यमंत्री की सहमति के लिए भेजी गयी है.
धनबाद शहर का काम सबसे अधिक
धनबाद योजना में 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. 365 करोड़ की योजना में झारखंड और केंद्र सरकार को 50:50 प्रतिशत के हिसाब से राशि दी जानी थी. केंद्र ने योजना के तहत 118 करोड़ रुपये झारखंड सरकार को दिये थे. चेन्नई की लार्सन एंड टूब्रो कंपनी यहां पर काम कर रही है. इतना ही नहीं चाईबासा शहरी जलापूर्ति योजना के लिए 17 करोड़ से अधिक की राशि की मांग की गयी थी. रांची शहरी जलापूर्ति योजना फेज-1 के तहत 89 करोड़ रुपये का भुगतान (प्राक्कलन बढ़ने पर) करने पर केंद्र ने पहले ही मनाही कर दी है. राजधानी की योजना पर केंद्र से 70 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाना था. सरकार की तरफ से इस संबंध में अधूरे पड़े कार्य को पूरा करने के लिए लार्सन एंड टुब्रो का चयन किया गया है. चाईबासा योजना के लिए 35 करोड़ रुपये की मांग की गयी है.
राशि नहीं मिलने से योजनाएं हो रही हैं प्रभावित
केंद्र से राशि नहीं मिलने से योजनाएं प्रभावित होने लगी हैं. राज्य सरकार की ओर से पिछले एक वर्ष में 48 करोड़ रुपये एलएनटी को भुगतान नहीं किया गया है. राज्य सरकार ने अपने अंशदान के तहत 35 करोड़ रुपये दिये हैं. 25 करोड़ का भुगतान करने के लिए वित्त विभाग को संचिका भेजी गयी है. वित्त विभाग का आब्जेक्शन है कि तय मापदंड से अधिक स्टेट ने अपने कोटे का पैसा रिलीज कर दिया है.