रांची: पांच परगना किसान महाविद्यालय (पीपीके कॉलेज), बुंडू की स्थिति राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता हुआ एक उदाहरण है. इससे पता चलता है कि विद्यार्थियों के साथ कैसा मजाक किया जा रहा है. प्राचार्य व शिक्षक भी इस व्यवस्था में सहयोग करते दिखते हैं.
24 नवंबर को प्रभात खबर संवाददाता ने इस महाविद्यालय का जायजा लिया, तो वहां कुल 43 स्थायी शिक्षकों में से 32 गायब मिले. अटेंडेंस रजिस्टर पर इनके हस्ताक्षर (24 नवंबर को) नहीं थे. यह स्थिति छह हजार से अधिक विद्यार्थी (इनमें 40 फीसदी छात्रएं हैं) वाले इस कॉलेज में पठन-पाठन का हाल बयां करती है. कॉलेज में पढ़ाई नहीं होने से विद्यार्थी मायूस दिखे. कई विद्यार्थियों ने कहा कि वे असहाय हैं.
कॉलेज में पढ़ाई नहीं होने का फायदा निजी कोचिंग इंस्टीटय़ूट उठा रहे हैं. स्थानीय युवक रंजीत कुमार महतो ने बताया कि बुंडू में छोटे-बड़े 25 कोचिंग संस्थान खुल गये हैं. आर्थिक रूप से सक्षम बच्चे वहीं पढ़ते हैं. पर जिनके पास पैसे नहीं, उनका कैरियर बरबाद हो रहा है. बाहर से ठीक दिखने वाले कॉलेज भवन की स्थिति अंदर से जजर्र है. कॉलेज की छत कई जगह गिरने की कगार पर है. मरम्मत में विलंब से यहां कभी भी हादसा हो सकता है., जबकि दो वर्ष पहले ही इस मंजिल की मरम्मत की गयी थी.
प्राचार्य शिव चरण ठाकुर ने कहा कि क्लास रूम में पंखे नहीं लगे, क्योंकि पहले चरण का काम समाप्त होने के चार-पांच साल बाद भी कॉलेज को 5.5 लाख रुपये की दूसरी किस्त नहीं मिली है. छत की मरम्मत, खेल मैदान की घेराबंदी, लाइब्रेरी व अन्य जरूरी कार्य कराने के लिए जनवरी माह में विवि को चिट्ठी लिखी गयी. पर आज तक अनुमति नहीं मिली है. जबकि कॉलेज के एकाउंट में विकास कार्य के लिए करीब 70 लाख रुपये पड़े हैं.
शिक्षक कितने, याद नहीं
कॉलेज में कितने शिक्षक हैं. इसका सही जवाब कई शिक्षक या शिक्षकेतर कर्मियों के पास नहीं था. यहां तक प्राचार्य भी इसका सही जवाब नहीं दे पाये. किसी ने कहा सौ से अधिक. तो किसी ने 56. प्राचार्य ने कहा कि 51 शिक्षक हैं. जब उनसे बताया गया कि रजिस्टर में तो 43 का नाम दर्ज है, तब उन्होंने कहा कि आप सही कह रहे हैं. यही होगा. दरअसल इस कॉलेज में 43 स्थायी शिक्षक हैं. वहीं प्राचार्य के अनुसार 12 अनुबंध वाले शिक्षक भी हैं. इस तरह शिक्षकों की कुल संख्या 55 है.
बंदूक थाम रहे
पीपीके कॉलेज के कुछ विद्यार्थियों ने बताया कि पठन-पाठन की बदतर हालत व उच्च शिक्षा के लिए अवसर व संसाधन की कमी के कारण इस कॉलेज के कई विद्यार्थियों ने बंदूक थाम ली है. एक छात्र ने बताया कि एनसीसी के छात्रों को जो हथियार संबंधी प्रशिक्षण मिलते हैं, उसका इस्तेमाल कहीं और हो रहा है. कुछ विद्यार्थी नक्सली बन गये हैं.