नयी दिल्ली. भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी डी-6 क्षेत्र में हुए खर्च में से 35.71 करोड डॉलर की लागत वसूली की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. कैग ने मंजूरी देने में देरी और असंगत मानकों के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय की भी खिंचाई की है. रिलायंस इंडस्टरीज के पूर्वी अपतटीय केजी डी-6 क्षेत्र की दूसरी लेखा परीक्षा में कैग ने मुकेश अंबानी द्वारा परिचालित कंपनी को तीन कूपों पर आयी लागत में 27.98 करोड डॉलर की वसूली को मंजूरी नहीं देने की सिफारिश की है. इसके साथ ही, उसने कंपनी द्वारा अनुचित तरीके से खोज घोषित किये गये क्षेत्र पर हुए खर्च के एक हिस्से की वसूली को भी निरस्त किये जाने को कहा है. कैग की इस संबंध में संसद में पेश रिपोर्ट में पाया गया कि ठेकेदारों को 42.74 करोड़ डॉलर का अनियमित भुगतान किया गया, जिसमें से उसने कम से कम 7.73 करोड डॉलर खर्च को नामंजूर करने की सिफारिश की है. उत्पादन भागीदारी अनुबंध के तहत आरआइएल और इसके भागीदार ब्रिटेन की बीपी पीएलसी और कनाडा की निको रिसोर्सेज को सरकार के साथ मुनाफा साझा करने से पहले तेल एवं गैस की बिक्री से प्राप्त राशि से पूंजी और परिचालन खर्च की वसूली करने की व्यवस्था है.
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केजी डी-6 में खर्च की वसूली को कैग ने बताया गलत
नयी दिल्ली. भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी डी-6 क्षेत्र में हुए खर्च में से 35.71 करोड डॉलर की लागत वसूली की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. कैग ने मंजूरी देने में देरी और असंगत मानकों के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय की भी खिंचाई की है. रिलायंस इंडस्टरीज […]
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