रांची: राजधानी के बच्चे बड़ी संख्या में गैस्ट्रिक की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. वह भी महज आठ साल की उम्र में. बच्चे अपने अभिभावक से अक्सर पेट दर्द की शिकायत करते हैं. जब अभिभावक उन्हें चिकित्सक के पास ले जाते हैं और जांच होती है, तब पता चलता है कि उन्हें गैस्टिक की समस्या है. इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है. उनका शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है. गैस के कारण बच्चों को भूख कम लग रही है. कई अभिभावकों की शिकायत है कि उनके बच्चे स्कूल में टिफिन भी नही खाते.
शुरू में आते हैं पेट दर्द समस्या लेकर
रिम्स के शिशु अस्पताल के ओपीडी में पेट दर्द की शिकायत लेकर आनेवाले बच्चों के परीक्षण से पता चला है कि उन्हें गैस्ट्रिक की समस्या है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेश चंद्रा के अनुसार, 10 बच्चों में तीन से चार बच्चों में गैस्ट्रिक की समस्या हो रही है. बच्चों को छोटी उम्र में गैस की दवाएं लेनी पड़ रही हैं.
थाली से गायब हो रही हरी सब्जियां
बच्चों की थाली में प्रचूर मात्र में हरी सब्जी होनी चाहिए. फल व दूध उनका मानसिक व शरीरिक विकास करेगा. हरी सब्जी और फल में अत्यधिक मात्र में फाइबर होता है, जो भोजन पचाने में सहायक है. साथ ही उनकी आंख के लिए काफी फायदेमंद है. अभिभावकों की कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे घर का बना खाना खायें.