नयी दिल्ली. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा संतुलन की स्थिति में काफी सुधार किया है और वैश्विक झटकों से उसके लिए खतरा पहले से कम है. पिछले साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बांड खरीद कार्यक्रम में बदलाव लाने की अटकलों से भारत में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था. इसके अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अगले साल ब्याज दरें बढ़ाये जाने की संभावना है, लेकिन अनेक निवेशकों का यह मानना है कि अधिकतर एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में चालू खाते की स्थिति बेहतर बनी हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का बाह्य लेन-देन का संतुलन भी सुधरा है, जिससे यही संकेत मिलता है कि उसके लिए विदेशी झटकों का जोखिम कम हुआ है. वर्ष 2008 से 2013 के बीच राष्ट्रीय बचत में बदलाव पर किये गये एक विश्लेषण के अनुसार चीन, हांगकांग, मलयेशिया और थाइलैंड में इसमें गिरावट रही, जिससे ये अर्थव्यवस्थाएं संवेदनशील रहीं. रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में चीन, हांगकांग, मलयेशिया और जापान में देखा गया है कि उनके अधिशेषों में हाल के वषोंर् में काफी गिरावट आयी है. कोरिया, सिंगापुर, फिलिपीन, ताइवान और वियतनाम में हालांकि इसमें सुधार हुआ.
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भारत ने विदेशी मुद्रा संतुलन में किया सुधार
नयी दिल्ली. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा संतुलन की स्थिति में काफी सुधार किया है और वैश्विक झटकों से उसके लिए खतरा पहले से कम है. पिछले साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बांड खरीद कार्यक्रम में बदलाव लाने की अटकलों से भारत में काफी उतार-चढ़ाव […]
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