विधानसभा की तीसरी खबरचुनावी मुद्दा क्यों न बने-तीन हेडिंग : अवैध नियुक्ति का रहा ‘ आलम’ क्या-क्या हुआ खेल – सहायक के 150 पद नेताओं सगे-संबंधियों में बांट दिये गये – नियुक्ति में पैसे के लेन-देन की सीडी भी सामने आयी, पर नहीं हुई आगे की जांच – पूर्व स्पीकर ने जिनके खिलाफ टिप्पणी की, उन्हें इंटरव्यू बोर्ड में शामिल किया- टंकक शाखा के लोगों ने लिया इंटरव्यू, बोर्ड के सदस्यों ने किया हस्ताक्षरबोर्ड के सदस्य रहे व्यस्त, तो टंकक ने लिया इंटरव्यूराज्यपाल के पत्र से कई गंभीर अनियमितता सामने आयी थी. 29 जनवरी 2007 से शुरू इंटरव्यू में साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष कौशल किशोर प्रसाद और सोनेत सोरेन के विधानसभा सत्र व स्थापना कार्यों में व्यस्त रहने के कारण, उनकी जगह टाइपिंग शाखा के तारकेश्वर झा और महेश नारायण सिंह बोर्ड में शामिल हो गये. टंकक ने इंटरव्यू लिये और बोर्ड के सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिये. राज्यपाल की इस आपत्ति पर अब तक जांच नहीं हो सकी. आलमगीर आलम के कार्यकाल में इन पदों पर हुई नियुक्तियां पद संख्यासहायक 150चालक 25माली 14उप मुख्य उद्यान पर्यवेक्षक 01दरबान 10फर्राश (सफाईकर्मी) 33मेहतर 30निजी सहायक16टंकक (टाइपिस्ट) 16सुरक्षा प्रहरी (महिला) 10शोध सहायक सह सूचीकार 06 प्रशाखा पदाधिकारी (उर्दू) 01उर्दू सहायक 02उर्दू अनुवादक 01उर्दू टंकक 02प्रधान उर्दू टंकक 01उर्दू रूटीन क्लर्क 01कंप्यूटर ऑपरेटर उर्दू 01अनुसेवक उर्दू 01(इसके अतिरिक्त भी दूसरे पदों पर बहाली हुई है )इंट्रो झारखंड में शासन की संस्थाएं निरंकुश और बेखौफ काम करती रही हैं. विधानसभा में भी यही हुआ. यहां नियुक्तियों में हुई अनियमितताओं की जांच कराने, उसे सुधारने और राज्य के युवाओं को उनका हक देने के बजाय, फिर से वहीं प्रकरण दोहरा दिया गया. इन युवाओं की नौकरियों को एक बार फिर राज्य के नेताओं ने अपने सगे-संबंधियों के बीच बांट दिये. प्रभात खबर चाहता है कि ऐसे मुद्दे राजनीति के एजेंडे बने, इसलिए हम विधानसभा में नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को पुन: छाप रहे हैं. आनंद मोहनरांची : आलमगीर आलम करीब तीन वर्षों तक झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रहे. उनके कार्यकाल (20 अगस्त 2006 से 26 दिसंबर 2009) में विधानसभा में 324 लोगों की नियुक्तियां हुईं. नये-नये पद सृजित किये गये. उर्दू शाखा में कर्मियों की संख्या बढ़ायी गयी. इन नियुक्तियों पर भी विवाद हुए. 150 सहायकों के पद नेताओं और विधायकों के करीबियों के बीच बांट दिये गये. फिलहाल इनमें कई प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर काम कर रहे हैं. रिश्वत की बात भी सामने आयी नियुक्ति में पैसों के लेन-देन की बात भी सामने आयी थी. विधानसभा के कर्मी ही इस विवाद के घेरे में थे. तत्कालीन भाजपा विधायक सरयू राय ने इससे संबंधित सीडी विधानसभा को उपलब्ध करायी. सीडी की जांच के लिए तत्कालीन विधायक राधाकृष्ण किशोर के संयोजन में विधानसभा की विशेष कमेटी बनी थी. गहराई से जांच करने की बात कही गयी, पर मामला दबा दिया गया. साक्षात्कार में बरती गयी अनियमितताआलमगीर आलम के कार्यकाल में हुई नियुक्ति प्रक्रिया पर राज्यपाल ने भी सवाल उठाये. साक्षात्कार में अनियमितता बरतने की बात सामने आयी. सैकड़ों सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार के लिए सिर्फ दो सदस्यीय बोर्ड गठित किये जाने को लेकर विवाद हुआ. पूर्व स्पीकर एमपी सिंह ने जिनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की थी, उन्हें ही साक्षात्कार बोर्ड का अध्यक्ष व सदस्य बना दिया गया था. कौशल किशोर प्रसाद और सोनेत सोरेन बोर्ड में शामिल किये गये थे. एक दिन में 200 से 600 लोगों का साक्षात्कार लिया गया.
विधानसभा की तीसरी किस्त
विधानसभा की तीसरी खबरचुनावी मुद्दा क्यों न बने-तीन हेडिंग : अवैध नियुक्ति का रहा ‘ आलम’ क्या-क्या हुआ खेल – सहायक के 150 पद नेताओं सगे-संबंधियों में बांट दिये गये – नियुक्ति में पैसे के लेन-देन की सीडी भी सामने आयी, पर नहीं हुई आगे की जांच – पूर्व स्पीकर ने जिनके खिलाफ टिप्पणी की, […]
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