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गुनाहों से निजात पाने का महीना है शाबान

मसूद जामी इसलामिक कैलेंडर का आठवां महीना शाबान कहलाता है. शाबान का महीना इम्तिहान का महीना है. इस माह की 15वीं शाबान की रात बहुत ही फजीलत वाली होती है. हदीस शरीफ में आता है कि शब-ए-कद्र के बाद अगर किसी रात की फजीलत हो सकती है, तो वह शाबान की इसी 15 वीं रात […]

मसूद जामी

इसलामिक कैलेंडर का आठवां महीना शाबान कहलाता है. शाबान का महीना इम्तिहान का महीना है. इस माह की 15वीं शाबान की रात बहुत ही फजीलत वाली होती है. हदीस शरीफ में आता है कि शब-ए-कद्र के बाद अगर किसी रात की फजीलत हो सकती है, तो वह शाबान की इसी 15 वीं रात की है. ये गुनाहों से निजात पाने की रात है.

शाबान के महीने में एक साल के आमाल (क्रिया कलाप) पेश होते हैं. विशेष तौर पर इस महीने में नेक आमाल करना चाहिए और यह बिल्कुल उसी तरह से जैसे लोग आम इम्तिहानों में किया करते हैं और इम्तिहान में पिछले कमजोरियों को दूर करें. हजरत उसामा फरमाते हैं कि हजरत मोहम्मद (स.व.) ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है. इस महीने में हजरत मोहम्मद (स.व.) अधिक रोजे रखते थे, ताकि अगले माह आनेवाले रमजान में रोजा रखने में दिक्कत न हो.

अर्श से फर्श तक रहमतों की बारिश

इस रात में अर्श से फर्श तक रहमतों की बारिश होती है. इसलिए इस मुकद्दस रात को कुरान पाक की तिलावत, नफील नमाज, तसबीह अधिक-से-अधिक पढे.ं और पूरी रात जम कर इबादत करें. अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगें. हजरत अबु हुरैदा की एक रिवायत है कि हजरत मोहम्मद (स.व.) ने फरमाया कि दरमियानी शब (मध्य रात्रि) में हजरत जिबरइल मेरे पास आये और कहा कि ए मोहम्मद अपना सिर आसमान की ओर उठाओ. मैंने सिर उठाया, तो जत्रत (स्वर्ग) के सभी दरवाजे खुले हुए पाये. पहले दरवाजे पर एक फरिश्ता खडा पुकार रहा था कि जो शख्स इस रात में नमाज पढ.ता है, उसे खुशखबरी हो, दूसरे, तीसरे से लेकर आठवें दरवाजे तक फरिश्ता खडे. रहते हैं और इबादत
अर्श से फर्श तक रहमतों की बारिश

इस रात में अर्श से फर्श तक रहमतों की बारिश होती है. इसलिए इस मुकद्दस रात को कुरान पाक की तिलावत, नफील नमाज, तसबीह अधिक-से-अधिक पढे. और पूरी रात जम कर इबादत करें. अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगें. हजरत अबु हुरैदा की एक रिवायत है कि हजरत मोहम्मद (स.व.) ने फरमाया कि दरमियानी शब (मध्य रात्रि) में हजरत जिबरइल मेरे पास आये और कहा कि ए मोहम्मद अपना सिर आसमान की ओर उठाओ. मैंने सिर उठाया, तो जत्रत (स्वर्ग) के सभी दरवाजे खुले हुए पाये. पहले दरवाजे पर एक फरिश्ता खडा पुकार रहा था कि जो शख्स इस रात में नमाज पढता है, उसे खुशखबरी हो, दूसरे, तीसरे से लेकर आठवें दरवाजे तक फरिश्ता खडे. रहते हैं और इबादत कर रहे बंदों के गुनाहों की माफी मिल रही है. जत्रत के सभी दरवाजे पिछली रात से लेकर सुबह होने तक खुले रहते हैं.

एक वर्ष के कायरें का होगा लेखा-जोखा

एक वर्ष के कायरें का होगा लेखा-जोखाशाबान की 15वीं तारीख को शबे कद्र के नाम से जाना जाता है. यह रात अन्य रातों से फजीलत वाली है. इस रात में बंदों द्वारा किये गये पिछले एक साल के कायरें का लेखा-जोखा (हिसाब-किताब) होता है. हदीस में आता है कि इस रात अल्लाह अपने प्यारे बंदों से कहता है कि जो गुनाहगार है, वह माफी करा ले. जो बीमार है, उसे सेहत दे दी जाये. इस रात में जत्रत के आठों दरवाजे खुल जाते हैं और रहमतों की बारिश होती है. लोग मसजिदों या अपने घरों में पूरी रात कुरान पढ.ते हैं. नमाज अदा करते हैं. दूसरे दिन नफ्ल का रोजा रखा जाता है.

क्या करें

शब-ए-बरात, ईद, बकरीद की तरह नहीं है, बल्कि यह इसलामिक दृष्टिकोण से बहुत फजीलत वाली रात है. इस रात में मुरदों की मगफिरत के लिए कब्रिस्तान में जाना, पूरी रात इबादत करना और दूसरे दिन रोजा भी रखना चाहिए. हजरत मोहम्मद (स. व) इस रात को इबादत करते थे और कब्रिस्तान जा कर मगफिरत की दुआएं भी करते थे.

क्या न करें

इस मुबारक रात में ऐसे कोई गैर इसलामी कार्य न करें, जिससे अल्लाह का कहर नाजिल हो. खुराफात, फिजूल खर्ची, पटाखे गैर इसलामी है. कुछ लोग अल्लाह को भूल कर शैतान को याद कर खुशी मनाते हैं. अल्लाह ने भी हमें छोड. दिया और बरबादी, परेशानी, आफत के दलदल में ढकेल दिया. इसलिए मुसलमान अपने आमाल ठीक करें.

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