जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को किया निराशमांडर (विधानसभा रिपोर्ट) (फोटो : मांडर नाम से सिटी में फोल्डर है)तौफिक आलम मांडर. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित मांडर विधानसभा क्षेत्र शहर से सटे होने के बाद भी विकसित नहीं हो सका है. रांची जिले का यह विधानसभा क्षेत्र लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के इलाके में पड़ता है. बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सिंचाई, बेरोजगारी और पलायन की समस्या यहां जस की तस है. हालांकि आधारभूत संरचना के क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं. सड़क, पुल, विद्युत सब-स्टेशन, इंटर कॉलेज, आइटीआइ व अस्पताल के भवनों का निर्माण हुआ है, लेकिन इनकी गुणवत्ता को लेकर आज भी सवाल उठ रहे हैं. सब्जी उत्पादन के लिए दूसरे राज्यों तक अपनी पहचान बना चुके इस विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरनेवाले कई नदी-नालों में बेहतर प्रबंधन से किसानों को सिंचाई के बेहतर विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते थे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस दिशा में किसी जन प्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया. परिणाम स्वरूप धान की फसल के बाद यहां हजारों एकड़ खेत सूखे रह जाते हैं. क्षेत्र में प्राथमिक, मध्य, उत्क्रमित व उच्च विद्यालयों की संख्या कम नहीं है, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण यहां पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति ही होती है. उच्च शिक्षा के लिए मांडर व बेड़ो में दो अंगीभूत कॉलेज हैं, लेकिन यहां की शिक्षण व्यवस्था कोरम पूरा करने के लिए ही है. इस कारण अच्छे विद्यार्थी शहरों की ओर चले जाते हैं. विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला है़ भ्रष्टाचार के कारण ही इंदिरा आवास, मनरेगा व अन्य विकास योजनाओं का सही लाभ असली हकदारों को नहीं नहीं मिल पा रहा है़ जितना कराया, उतना आजादी के बाद नहीं हुआ था : बंधु विधायक बंधु तिर्की ने क्षेत्र के विकास के बारे में कहा है कि उन्होंने 10 साल के कार्यकाल में मांडर विधानसभा क्षेत्र में जितना काम कराया है, उतना यहां आजादी के बाद से नहीं हुआ था़. सड़क पुल-पुलिया, खेल मैदान, स्टेडियम, इंटर कॉलेज, कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर, विद्युत सब स्टेशन जैसे कई कार्य कराये गये. विधायक के अनुसार वह सीधे जनता से जुड़े रहते हैं. उनके सवालों व मुद्दों के लिए विधानसभा तक लड़ाई लड़ी है. फोटो है मांडऱ 2 देवकुमार धान काविधानसभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला : धान 2009 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे मांडर के पूर्व विधायक देवकुमार धान ने कहा है कि वर्तमान विधायक ने अपने कार्यकाल में कोई भी ठोस व रचनात्मक काम नहीं कराया है़ इनके कार्यकाल मे भ्रष्टाचार चरम सीमा पर रही. बंधु तिर्की ने शुरू से ही लोगों के मनोबल को गिराने का काम किया है. स्थानीयता व अन्य मुद्दों पर सिर्फ ढोंग करते रहे हैं. करीब दो वर्ष तक झारखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, तब उन्होंने इन मुद्दों पर काम क्यों नहीं किया. फोटो है मांडर 3, राजकुमार साही़ पिपराटोली चान्हो- हमें है उम्मीदअलग राज्य के गठन के बाद मांडर विधानसभा क्षेत्र में विकास के काफी कार्य हुए हैं़ अब कई ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां काम किया जाना बाकी है़ किसानों को सिंचाई, पीने का पानी व ग्रामीणों को रोजगार सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विशेष रूप से काम करने की आवश्यकता है़ आगामी विधानसभा चुनाव में जीत कर आनेवाले प्रत्याशी को इन मुद्दों पर काम करने के लिए अभी से कमर कस लेनी चाहिए. फोटो है मांडर 4, क्या कहते हैं लोगजनता के हालात व क्षेत्र की तसवीर में कोई सुधार नहीं हुआ है. ऊपर से लेकर नीचे तक के जन प्रतिनिधियों का खूब विकास हुआ है़ जिसे जनता देख और समझ भी रही है़ विकास से इनका कोई नाता नहीं है. फोटो है मांडर 5,बजरंग लोहरा़, मांडर राजनीति मे जनता सवार्ेपरि होती है़ उन्हें किस तरह का जन प्रतिनिधि चाहिए, इसका फैसला को आखिर उन्हें ही करना है. क्षेत्र का विकास करे, लोग वैसे जनप्रतिनिधि की आस रखते हैं. खलील अंसारी, कठचांचो फोटो: मांडर 6 आइटीआइ भवन काकब बदलेगी तसवीर मांडर प्रखंड के हेसमी गांव में छह साल से बन कर तैयार आइटीआइ में पढ़ाई शुरू होने का क्षेत्र के लोगों को बेसब्री से इंतजार है़ लगभग 2.50 करोड़ की लागत से श्रम विभाग से बने इस आइटीआइ भवन के निर्माण की आधारशिला छह वर्ष पहले रखी गयी थी. क्षेत्र के लोगों ने सपना देखा था कि आइटीआइ खुलने से उनके बच्चे यहां से प्रशिक्षित होंगे, लेकिन उनका सपना अब भी अधूरा है. आइटीआइ भवन अब बन कर तैयार है़ यहां पढ़ाई को लेकर सारे सामान की खरीदारी कर ली गयी है. मांडर विधानसभा क्षेत्र की स्थितिकुल बूथ-316कुल मतदाता-2,86,620महिला-1,37,749पुरूष -1,48,871मतदान की तिथि- 02 दिसंबरअब तक के विधायक वर्षविधायकदल1957राम विलास प्रसाद / इग्नेश कुजूरझापा1962जहूर अली मोहम्मदकांग्रेस 1967एस भगतकांग्रेस 1969श्री कृष्ण भगतकांग्रेस 1972श्रीकृष्ण भगतकांग्रेस 1977करमचंद भगतकांग्रेस 1980करमचंद भगतकांग्रेस 1985गंगा भगतकांग्रेस 1990करमचंद भगतजद1995विश्वनाथ भगतझामुमो2000देवकुमार धानकांग्रेस 2005बंधु तिर्कीयूजीडीपी2009बंधु तिर्कीझाजमंफोटो : इटकी से आयेगाप्रखंड मुख्यालय से करीब, विकास से दूर बारीडीह सुबोध मांडर विधानसभा क्षेत्र का एक गांव है बारीडीह. इटकी प्रखंड मुख्यालय से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है. करीब 100 घर की आबादी वाले इस गांव की स्थिति दयनीय है. बिजली तो है. विकास से यह कोसों दूर है. गांव की ओर जानेवाली कच्ची सड़क इसकी स्थिति बयां करती है. आगे बढ़ती ही गंदगी में खेलते बच्चे. यहां आदिवासी, मुसलिम और सामान्य जाति के लोग भी रहते हैं. सभी रोजगार की तलाश में इधर-उधर जाते हैं. बरसात में तो इस गांव में जाना भी मुश्किल हो जाता है. जन प्रतिनिधि इस गांव में चुनाव के समय आश्वासन देने जाते तो हैं, लेकिन फिर भूल जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आश्वासन तो कई बार मिला, लेकिन काम नहीं हुए. शिकायत सुनते हैं, चले जाते हैं. दोबारा नहीं आते.
बेरोजगारी और पलायन की समस्या से जूझता मांडर
जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को किया निराशमांडर (विधानसभा रिपोर्ट) (फोटो : मांडर नाम से सिटी में फोल्डर है)तौफिक आलम मांडर. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित मांडर विधानसभा क्षेत्र शहर से सटे होने के बाद भी विकसित नहीं हो सका है. रांची जिले का यह विधानसभा क्षेत्र लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के इलाके में पड़ता है. बिजली, पानी, […]
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