झारखंड सरकार ने पाकुड़ जिले के पचुआड़ा सेंट्रल ब्लॉक में 1151.70 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें 674.2 हेक्टेयर कृषि जमीन और लगभग 400 हेक्टेयर वनभूमि थी. इसे सरकार ने कोयला खनन के लिए पैनम कोल माइंस लिमिटेड, नयी दिल्ली को लीज पर दिया. इसके खिलाफ राजमहल पहाड़ बचाओ आंदोलन ने आदिवासी जमीन के अधिग्रहण औरकोयले की आपूर्ति सिर्फ पंजाब के थर्मल पावर स्टेशनों को करने को आधार बनाते हुए इसकी वैधानिकता पर सवाल उठाया और झारखंड उच्च न्यायालय में वाद दायर किया. इसके खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी ( संख्या 1318/ 2006) दायर कर पूरे अधिग्रहण को रद्द करने की मांग की. इसके बाद पैनेम कंपनी और राजमहल पहाड़ बचाओ आंदोलन के बीच आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट हुआ और 30 नवंबर 2006 को एमओयू किया गया. इस एमओयू में पैनम ने पुनर्वास के लिए पैकेज की घोषणा की थी.
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क्या है मामला… स्वतंत्र जन न्यायाधिकरण का जोड़
झारखंड सरकार ने पाकुड़ जिले के पचुआड़ा सेंट्रल ब्लॉक में 1151.70 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें 674.2 हेक्टेयर कृषि जमीन और लगभग 400 हेक्टेयर वनभूमि थी. इसे सरकार ने कोयला खनन के लिए पैनम कोल माइंस लिमिटेड, नयी दिल्ली को लीज पर दिया. इसके खिलाफ राजमहल पहाड़ बचाओ आंदोलन ने आदिवासी जमीन के […]
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