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सुशील मोदी ने नीतीश से किया तीसरा सवाल

पिछड़ा-अतिपिछड़ा-सवर्ण को विदेशी मानते हैं नीतीश?संवाददाता, पटनाबिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विदेशी निवासी के मसले पर सवाल किया है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूछा है कि वे बताएं कि क्या सवर्ण, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लोग विदेशी हैं? मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान […]

पिछड़ा-अतिपिछड़ा-सवर्ण को विदेशी मानते हैं नीतीश?संवाददाता, पटनाबिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विदेशी निवासी के मसले पर सवाल किया है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूछा है कि वे बताएं कि क्या सवर्ण, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लोग विदेशी हैं? मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान पर उन्होंने चुप्पी क्यों साध ली? क्या उनके इशारे पर ही सत्तारूढ़ दल अलग-अलग सुर में बोल रहा है? संपर्क यात्रा के दौरान नीतीश कुमार से रोज सवाल पूछने की कड़ी में भाजपा यह चौथा सवाल है.सरकार बचाने के लिए लालू प्रसाद की गोद में जाने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हीं की तर्ज पर वोट बैंक के लिए समाज को बांटने की राजनीति शुरू कर दी. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको साथ लेकर विकास के रास्ते पर चलना चाहते हैं, वहीं, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री मांझी को मोहरा बना कर समाज का सदभाव बिगाड़ने में लगे हैं.पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लालू प्रसाद एक तरफ रणवीर सेना और दूसरी तरफ उग्रवादी संगठनों को हवा देकर 15 साल तक सत्ता पर काबिज रहे. आज एक ओर मुख्यमंत्री मांझी दलित-आदिवासी वोटबैंक बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, उनकी पार्टी के कुछ नेता मांझी पर दिखावटी हमले कर समाज के दूसरे वगार्ें की आंख में धूल झोंकना चाहते हैं. पार्टी दो भागों जद-यू ( नीतीश ) और जद-यू (मांझी) के रूप बंट गयी है.मोदी ने कहा कि इस लड़ाई में बिहार का विकास ठप हो गया है. मांझी के बयानों और उनकी नाकामियों से राज्य की छवि खराब हो रही है. मुख्यमंत्री कभी एक वर्ग को विदेशी बताते हैं, तो कभी बिना सच का पता लगाए छुआछूत बरतने का आरोप लगा देते हैं. 28 सितंबर को उन्होंने आरोप लगाया था कि मधुबनी के जिस देवी मंदिर में वे दर्शन करने गये थे, उसे छुआछूत की भावना के कारण उनकी यात्रा के बाद धोया गया था. इस मामले की जांच मुख्यमंत्री ने कमिश्नर को सौंपी, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं आयी है.उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सत्तारूढ़ दल का सवार्ेच्च नेता माना जाता है. वह पार्टी का चेहरा होता है. ऐसे संवैधानिक पद से मांझी ने विदेशी मूल के मुद्दे पर जो असंवैधानिक बयान दिया है, उस पर नीतीश कुमार के मौन को क्या सहमति नहीं माना जाना चाहिए? ऐसे मामले में प्रवक्ताओं की राय का कोई मतलब नहीं है. संपर्क यात्रा के दौरान नीतीश कुमार बताएं कि क्या मुख्यमंत्री जातीय द्वेष फैला कर देश तोड़ने का काम नहीं कर रहे हैं?

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