फोटो—ट्रैक पर डॉ एसपी मुखर्जी, वरिष्ठ चिकित्सक रांची. विकास के नाम पर राज्य में कुछ नहीं हुआ है. सिर्फ कंक्रीट का जंगल तैयार किया गया है. बड़े-बड़े बिल्डिंग बना दिये गये. विकास का राग अलापनेवाली सरकारें सिर्फ अपना विकास करती रही है. ऊर्जा विकास की पहली कड़ी मानी जाती है, लेकिन राजधानी में घंटों बिजली की कटौती होती है. खनिज संपदा में हम सबसे धनी हैं. हमारे यहां के कोयला से बिजली उत्पन्न कर कई राज्य रोशन है, लेकिन यहां अंधेरा छाया रहता है. मैंने यहां वर्ष 1966 में आरएमसीएच (वर्तमान में रिम्स) में लेक्चरर के पद पर योगदान दिया. तब से यही पर हूं. कई सरकार को आते-जाते देखा है. अलग राज्य बनने के बाद भी विकास नहीं हो सका, यह विडंबना है. इसके लिए हम दोषी हैं. हमलोग ही भ्रष्ट नेता को विधानसभा एवं संसद में भेजते हैं. ऐसे में विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है. एक भी उद्योग नहीं लगा. युवा बेरोजगार हैं. बेहतर राज्य तभी हो सकता है, जब स्थायी एवं स्वच्छ सरकार आये. छत्तीसगढ़ को देखें, वह कहां से कहां निकल गया, लेकिन हम पीछे के पीछे ही हैं.
कंक्रीट का जंगल बन गया है झारखंड—कॉलम
फोटो—ट्रैक पर डॉ एसपी मुखर्जी, वरिष्ठ चिकित्सक रांची. विकास के नाम पर राज्य में कुछ नहीं हुआ है. सिर्फ कंक्रीट का जंगल तैयार किया गया है. बड़े-बड़े बिल्डिंग बना दिये गये. विकास का राग अलापनेवाली सरकारें सिर्फ अपना विकास करती रही है. ऊर्जा विकास की पहली कड़ी मानी जाती है, लेकिन राजधानी में घंटों बिजली […]
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