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दो ही दिन में सरकार ने प्रोन्नति की समय सीमा घटायी

राज क्या. तीन माह पहले संघ की मांग खारिज की, अचानक प्रशासनिक हलकों में संदेहइससे पहले भी सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए पदों को चिह्नित करने की सारी प्रक्रिया एक दी दिन में पूरी कर ली थी. पदों को चिह्नित करने और प्रोन्नति के लिए कालावधि घटाने में सरकार की ओर […]

राज क्या. तीन माह पहले संघ की मांग खारिज की, अचानक प्रशासनिक हलकों में संदेहइससे पहले भी सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए पदों को चिह्नित करने की सारी प्रक्रिया एक दी दिन में पूरी कर ली थी. पदों को चिह्नित करने और प्रोन्नति के लिए कालावधि घटाने में सरकार की ओर से की गयी जल्दबाजी को प्रशासनिक हलकों में संदेह की नजर से देखा जा रहा है.ऐसे चली कालावधि में संशोधन की फाइल22-10-2014 : अवर सचिव के निर्देश पर कालावधि कम करने का प्रस्ताव तैयार22-10-2014 : कार्मिक सचिव की सहमति मिली22-10-2014 : मुख्य सचिव की सहमति मिली22-10-2014 : मुख्यमंत्री की सहमति मिली24-10-2014 : वित्त सचिव ने सहमति दी24-10-2014 : वित्त मंत्री ने सहमति दी24-10-2014 : संशोधन प्रस्ताव कैबिनेट में पेश 24-10-2014 : संशोधन से संबंधित संकल्प जारीशकील अख्तर, रांचीराज्य सरकार ने विभिन्न सेवाओं के अफसरों को प्रोन्नति देने के लिए निर्धारित कालावधि (समय सीमा) घटाने की सारी प्रक्रिया सिर्फ दो दिनों में ही पूरी की. जबकि सरकार तीन माह पहले (23-7-2014 को) ही कालावधि में संशोधन से संबंधित डिप्लोमा अभियंता संघ की मांग खारिज कर चुकी थी. एक पद से दूसरे पद प्रोन्नति के लिए निर्धारित पांच वर्ष के कालावधि को एक साल करने की मांग सबसे पहले डिप्लोमा अभियंता संघ ने की थी. सरकार ने संघ के महामंत्री विनोद कुमार के ज्ञापन पर विचार के बाद 23 जुलाई 2014 को इसे खारिज कर दिया था. तर्क दिया था कि कालावधि निर्धारण से संबंधित सभी तथ्यों को समावेशित करते हुए संकल्प संख्या 3286 (दिनांक 4-4- 2014) को जारी किया जा चुका है. इसलिए अब इस मामले में किसी तरह की कार्यवाही की जरूरत नहीं है.इसके ठीक तीन माह बाद 22 अक्तूबर 2014 को अचानक कार्मिक विभाग के अवर सचिव के निर्देश पर प्रोन्नति के लिए निर्धारित कालावधि घटा कर एक साल करने के लिए फाइल तैयार हुई. प्रस्ताव पर उसी दिन अवर सचिव, विभागीय सचिव, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री ने सहमति दे दी. 23 अक्तूबर को दीपावली की छुट्टी थी. 24 अक्तूबर को सुबह 11 बजे से होनेवाली कैबिनेट की बैठक में कालावधि कम करने के प्रस्ताव को पेश करने के लिए वित्त की सहमति मांगी गयी. वित्त सचिव और वित्त मंत्री ने उसी दिन अपनी सहमति दे दी. कैबिनेट की बैठक में सहमति के बाद उसी दिन इससे संबंधित संकल्प जारी कर दिया गया.

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