नयी दिल्ली.: गुजरात में पहली बार शुरू की गयी आदिवासी कल्याण योजना की तर्ज पर केंद्र ने मंगलवार को 10 आदिवासी बहुल राज्यों में एक ब्लाक में ‘ वनबंधु कल्याण योजना’ प्रारंभ की जिसका उद्देश्य मानव विकास सूचकांक पर आदिवासियों और अन्य वर्ग के बीच खाई को पाटना है. इन राज्यों में लागू होगा कार्यक्रमप्रायोगिक परियोजना के आधार पर शुरू इस कार्यक्रम के बारे में केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री जुएल उरांव ने कहा कि आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, ओडि़शा, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में प्रत्येक में एक ब्लाक में इसे लागू किया जायेगा. इस कार्यक्रम के तहत केंद्र प्रत्येक ब्लाक में आदिवासियों के लिए विभिन्न तरह की सुविधाओं के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये प्रदान करेगा. उरांव ने कहा, ‘ इस योजना में मुख्य रूप से आधारभूत संरचना और मानव विकास सूचकांक में अंतर के आधार पर अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक समूहों के बीच खाई को पाटने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.’ इस बैठक में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आदिवासी मामलों के मंत्रियों ने हिस्सा लिया.कहां होगा लागूप्रारंभ में ऐसे ब्लाकों को शामिल किया जायेगा जहां आदिवासी आबादी कम से कम 33 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन को आदिवासी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट केंद्र के रूप में मान्यता प्रदान करने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गयी.आदिवासी शोध संस्थानउरांव ने कहा कि भुवनेश्वर में आदिवासी शोध संस्थान में राष्ट्रीय शोध केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की गयी है.
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गुजरात मॉडल से सुधरेगा आदिवासियों का जीवन
नयी दिल्ली.: गुजरात में पहली बार शुरू की गयी आदिवासी कल्याण योजना की तर्ज पर केंद्र ने मंगलवार को 10 आदिवासी बहुल राज्यों में एक ब्लाक में ‘ वनबंधु कल्याण योजना’ प्रारंभ की जिसका उद्देश्य मानव विकास सूचकांक पर आदिवासियों और अन्य वर्ग के बीच खाई को पाटना है. इन राज्यों में लागू होगा कार्यक्रमप्रायोगिक […]
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