हैदराबाद. मनुष्यों पर दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों का पता लगाने, उनका आकलन करने और उनकी रोकथाम के लिए काम कर रही एक सोसायटी ने कोडेइन नामक दवा पर प्रतिबंध का प्रस्ताव दिया है. खांसी और दर्द से राहत के लिए उपयोग की जाने वाली कोडेइन पर प्रतिबंध का प्रस्ताव देते हुए सोसायटी ने दावा किया है कि इसके गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं.’फार्माकोविजिलेन्स इंडिया’ (एसओपीआइ) के संस्थापक और संरक्षक प्रो केसी सिंघल ने कहा है कि भारत में करीब दर्जन भर दवाओं के विनियमन की जरूरत है लेकिन कफ सीरप और दर्दनाशकों में प्रयु्त की जाने वाली दवा कोडेइन सल्फेट को बाजार से तत्काल हटाये जाने की जरूरत है.उन्होंने कहा, कोडेइन को मॉर्फीन में बदलने का प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग असर होता है और प्रतिक्रिया भी अलग-अलग होती है. कोडेइन को मॉर्फीन में बदलने वाले एंजाइम के माप के लिए भारत में कोई सुविधा नहीं है. कुछ लोगों को अधिक मार्फीन से दिल की धड़कन असामान्य होने सहित कई तरह के दुष्प्रभाव हो जाते हैं. सिंघल ने चेताया, कोडेइन वाली दर्दनाशक दवाएं और कफ सीरफ असुरक्षित होती हैं और बच्चों को इनका उपयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कनाडा के एक चिकित्सा जर्नल ने अपने संपादकीय में इस दवा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
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गंभीर दुष्प्रभावों वाली दवा पर प्रतिबंध का प्रस्ताव
हैदराबाद. मनुष्यों पर दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों का पता लगाने, उनका आकलन करने और उनकी रोकथाम के लिए काम कर रही एक सोसायटी ने कोडेइन नामक दवा पर प्रतिबंध का प्रस्ताव दिया है. खांसी और दर्द से राहत के लिए उपयोग की जाने वाली कोडेइन पर प्रतिबंध का प्रस्ताव देते हुए सोसायटी ने दावा किया […]
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