फोटो फोल्डर मेंरेडीमेड रंगोली का क्रेज भी बढ़ादीपावली में कुछ ही दिन शेष रह गये है. घरों की साफ सफाई लगभग पूरी हो गयी है. मां लक्ष्मी के स्वागत में घरों की सजावट की जा रही है. दीपावली में रंगोली का खास महत्व है. दीपावली पर मां लक्ष्मी के स्वागत में रंगोली बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यह एक आकर्षक कला है. जानकारों के अनुसार दीवाली पर रंगोली बनाने का मुख्य उद्देश्य बुरी नजरों से बचाना भी है. वर्तमान में पारंपरिक रंगोली में काफी बदलाव हुआ है. चावल, अबीर, फूल जैसी पारंपरिक वस्तुओं के बजाय अब प्लास्टिक की रंगोली इस्तेमाल किया जाने लगा है.पारंपरिक रंगोली है खास आज भी लक्ष्मी पूजा के दिन घर आंगन व पूजा स्थल पर पारंपरिक रंगोली बनायी जाती है. इसमें चावल के आटे, रंग-अबीर, फूल, रंगे हुए चावल आदि से आकर्षक डिजाइन बनायी जाती है. उगते सूरज, चांद, सितारे, देवी लक्ष्मी, ओम, मंगल कलश, स्वास्तिक चक्र, दीपक, श्री, आदि के रूप में रंगोली बनायी जाती है. रंगोली की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई थी. रेडिमेड रंगोली का क्रेजहाल के दिनों में महिलाएं रंगोली बनाने में व्यर्थ समय नहीं गंवाना चाहतीं. बाजार में उपलब्ध रेडिमेड रंगोली का इस्तेमाल किया जा रहा है. लकड़ी, प्लास्टिक बोर्ड और ट्रांसपैरेंट शीट पर तैयार रेडीमेड रंगोली को कलरफुल स्टोन, गोटे, पट्टी और लेस से सजाया जाता है. इसे घर की दीवार व दरवाजे पर चिपकाया जाता है. ये रंगोली किसी के पैर पड़ने पर बिगड़ती भी नहीं है. पानी पड़ने पर भी खराब नहीं होती. इसे दोबारा इस्तेमाल भी कर सकते है. यह 100 रुपये से लेकर 800 रुपये तक में मार्केट में उपलब्ध है.रंगोली का है विकल्परंगोली का विकल्प भी उपलब्ध है. जो चावल के आटे, रंग गुलाल आदि से नहीं बनाना चाहते, वे दीये या सांचे से भी रंगोली बना सकते हैं. इसके अलावा छलनी सांचा, बालू, लकड़ी का बुरादा, आदि से भी रंगोली बना सकते है. वहीं गेंदा के फूलों से भी रंगोली आकर्षक लगती है. डोरंडा की रहने वाली अनु कहती है कि वह हर साल पेंट से रंगोली बनाती हैं. इसमें लक्ष्मी गणेश की तसवीर, शुभ लाभ या मां लक्ष्मी के पैरों की तसवीर बनाते है. प्ऱाकृतिक रंगोलीआज भी महिलाएं घरों में प्राकृतिक रंगोली बनाती हंै. प्लास्टिक व बाजार में उपलब्ध उत्पादों से बनी रंगोली का इस्तेमाल नहीं करतीं. प्राकृतिक रंगोली फूलों, पतियों, लकड़ी आदि से बनायी जाती है. रेत का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा चावल पाउडर, चूना पत्थर, रंगीन चाक, अनाज के दाने, आटा, हल्दी, आलता से रंग कर भी रंगोली बनायी जाती है. गेंदा, गुलाब की पंखुडि़यों से भी इसे बनाया जाता है.
आज भी प्राकतिक रंगोली है खास
फोटो फोल्डर मेंरेडीमेड रंगोली का क्रेज भी बढ़ादीपावली में कुछ ही दिन शेष रह गये है. घरों की साफ सफाई लगभग पूरी हो गयी है. मां लक्ष्मी के स्वागत में घरों की सजावट की जा रही है. दीपावली में रंगोली का खास महत्व है. दीपावली पर मां लक्ष्मी के स्वागत में रंगोली बनाने की परंपरा […]
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