मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगीरांची. झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने केंद्र सरकार की ओर से दी गयी मौखिक जानकारी पर कहा कि शेल्टर होम निर्माण का जो प्रस्ताव राज्य सरकार ने भेजा है, वह अधूरा व अपूर्ण है. झारखंड राज्य के गठन के बाद से अब तक एक भी शेल्टर होम नहीं बन पाया है. यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हैं. एक शेल्टर होम के निर्माण पर केंद्र सरकार 87.50 लाख रुपये व जीर्णोद्धार कार्य के लिए 60 लाख रुपये देती है. इसके संचालन के साथ-साथ बच्चों के कपड़े, दवा और अन्य उपयोगी सामग्री के लिए भी राशि केंद्र सरकार देती है. खंडपीठ ने इस मामले में प्रति शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार ने शेल्टर होम का प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव काफी विलंब से मिला है. अधूरा व अपूर्ण भी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बलिराम पासवान, सुसाना किस्पोट्टा व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. लापता बच्चों को बरामद करने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया गया है.
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शेल्टर होम निर्माण मामले में केंद्र सरकार से जवाब-तलब
मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगीरांची. झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने केंद्र सरकार की […]
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