।। मनोज सिंह ।।
रांची : सीसीएल को पुरुष की बराबर शारीरिक योग्यता वाली ही महिला सुरक्षा गार्ड चाहिए. कंपनी ने सुरक्षा गार्डों की बहाली के लिए जो विज्ञापन निकाला है, उसमें महिलाओं की शारीरिक योग्यता के लिए अलग से जिक्र नहीं किया गया है. जबकि, अनुसूचित जाति और जनजाति की शारीरिक योग्यता कम की गयी है. सामान्य वर्ग के महिला और पुरुष आवेदकों की लंबाई 5.5 फीट होना आवश्यक है. छाती 32 से 34 इंच होनी चाहिए. जबकि, अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए ऊं चाई 5.3 फीट तथा छाती 30 से 32 इंच रखी गयी है.
इसी तरह एनसीसी की योग्यता भी रखी गयी है. मैट्रिक पास वालों से एनसीसी की बी और सी सर्टिफिकेट की मांग की गयी है. बी सर्टिफिकेट 11 वीं क्लास में दी जाती है. सी सर्टिफिकेट के लिए कम से कम तीन साल कॉलेज में पढ़ने का अनुभव चाहिए. मतलब ग्रेजुएशन में एक-दो साल की पढ़ाई कर लेने वाला विद्यार्थी ही दोनों सर्टिफिकेट एक साथ दे सकता है. भूतपूर्व सैनिक या राष्ट्रीय खेल में अवार्ड पाने वाले खिलाड़ी भी आवेदन कर सकते हैं.
500 पदों पर होनी है बहाली
सीसीएल ने कुल 500 पदों पर सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है. इसमें से 113 अनारक्षित श्रेणी के हैं. अनुसूचित जन जाति का 57 तथा अनुसूचित जाति का 304 पद है तथा 32 पद पूर्व सैनिकों के लिए है. इसके लिए ऑन लाइन और ऑफ लाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 नवंबर 2014 रखी गयी है.
जेबीसीसीआइ तय करती है कर्मचारियों की योग्यता
कोल इंडिया में काम करनेवाले गैर अधिकारियों के कैडर स्कीम का निर्धारण (ज्वाइंट बाइपर्टाइट कमेटी फॉर कोल इंडस्ट्री) जेबीसीसीआइ करती है. यह कोल इंडिया के अधिकारियों और कर्मचारियों का उच्च फोरम है. इसमें मजदूर हितों की बातें तय होती है. कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि जेबीसीसीआइ की बैठक में सभी कुछ तय होने के बाद सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन का प्रकाशन किया गया है. इसमें संशोधन करने का अधिकार कंपनी स्तर पर नहीं है. ऐसे में इस तरह के विज्ञापन में तय मानक के अनुरूप महिला सुरक्षा गार्ड मिलने में मुश्किलें आयेंगी.
* ऐसी योग्यता तय की गयी है, जिससे यहां के लोगों को लाभ नहीं होगा. आवेदक ही नहीं मिल पायेंगे. कंपनी और जेबीसीसीआइ में बैठने वाले लोगों को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए. यह बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.
सनत मुखर्जी, द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन
* सीसीएल को इस मामले में पुनर्विचार करना चाहिए. इसमें संशोधन होना चाहिए. मैट्रिक पास को सी सर्टिफिकेट मिल नहीं सकती है. अगर कॉलेज वाले आवेदक होंगे, तो मैट्रिक वालों के साथ न्याय नहीं होगा. महिलाओं के लिए निश्चित रूप से अलग से शारीरिक योग्यता तय होनी चाहिए. ऐसा नहीं कर हम संविधान की भावना से खिलवाड़ कर रहे हैं.
लखन लाल महतो, सदस्य, जेबीसीसीआइ