रांची : राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने प्रभात खबर में 14 सितंबर के अंक में प्रकाशित खबर इतनी जल्दबाजी का राज क्या शीर्षक समाचार का प्रतिकार किया है. संघ के महासचिव यतींद्र प्रसाद ने इस आशय का एक पत्र प्रभात खबर को भेजा है. पत्र में संघ का कहना है कि राज्य प्रशासनिक सेवा नियमावली में हर तीन साल पर कैडर स्ट्रेंथ (कैडर रिव्यू) की समीक्षा का प्रावधान है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए समिति बनी हुई है. वर्ष 2003 में कार्मिक विभाग ने झारखंड राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए पदों की पहचान की थी. 2003 में प्रशासनिक सेवा के लिए कुल 1293 पदों को चिह्नित किया गया था.
इसके बाद वर्ष 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए पदों की पहचान की गयी. 2014 में 2003 के मुकाबले सिर्फ 101 पदों की ही बढ़ोतरी की गयी. अगर सेवा नियमावली में निहित प्रावधानों के तहत हर तीसरे साल कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा होती, तो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पदों में कुल 390 पदों की वृद्धि होती. पर ऐसा नहीं हुआ.
दूसरी तरफ अखिल भारतीय सेवा के कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा में 10 से 15 प्रतिशत पदों की वृद्धि होती रही है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के कैडर रिव्यू के बाद पदों की संख्या 114 से बढ़ा कर 208 कर दी गयी है. अगर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के तर्ज पर औसतन 10 प्रतिशत की दर से ही राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों में वृद्धि हो, तो राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों में हर रिव्यू के बाद 130 पदों की वृद्धि होनी चाहिए थी. अगर पड़ोसी राज्य बिहार से तुलना की जाये, तो झारखंड में राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए संयुक्त सचिव के 200, अपर सचिव के 71 और विशेष सचिव के 38 पद होने चाहिए.
* संवाददाता का जवाब
प्रकाशित समाचार राज्य प्रशासनिक सेवा या किसी अन्य सेवा के पदों में वृद्धि के विरुद्ध नहीं है. खबर मूलत: कैडर रिव्यू की प्रक्रिया में जल्दबाजी से संबंधित है. राज्य में 114 पदों वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा भारत सरकार ने जनवरी 2010 से शुरू की, जो मई 2010 में समाप्त हुई. अर्थात 114 पदों वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा में भारत सरकार को पांच माह का समय लगा. पर झारखंड सरकार ने 1293 पदों वाले राज्य प्रशासनिक सेवा के कैडर की समीक्षा घंटे दो घंटे की बैठक में कर ली. फाइल मूवमेंट इस जल्दबाजी का प्रमाण है.
* इस जल्दबाजी ने निम्न सवालों को जन्म दिया है
– सरकार में पदों का सृजन आवश्यकता आधारित होता है. राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों में वृद्धि के लिए आवश्यकता का आकलन कब और कैसे हुआ?
– सरकार में कार्य बोझ के मुकाबले पदों की जरूरत के सिलसिले में सरकार के विभिन्न विभागों सहित अन्य प्रशासनिक इकाइयों की राय क्यों नहीं मांगी गयी?
– जरूरतों का आकलन किये बिना ही किसी सेवा के लिए पदों का चिह्नितीकरण और सृजन किन कारणों से किया गया?
– रिव्यू के लिए आयोजित बैठक किन कारणों से एक दिन पहले ही कर ली गयी?
– आइएएस के कैडर रिव्यू में पांच माह का समय लगा. पर राज्य प्रशासनिक सेवा का कैडर रिव्यू घंटे दो घंटे में ही कैसे कर लिया गया?
– कैडर रिव्यू के लिए गठित समिति ने किन कारणों से अवर सचिव के प्रस्ताव को ही अंतिम सत्य माना.
– किस आधार पर कैडर रिव्यू में मूल कोटि, अवर सचिव और उस सचिव के स्तर के पदों में वृद्धि की जरूरत नहीं समझी गयी?