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आइएएस के लिए कोर्ट में व आइएफएस के लिए सरकार में की पैरवी

रंजीत कोहली ने सीआइडी के अफसरों के सामने स्वीकार किया- बहुचर्चित घोटाले में जेल में बंद थे आइएएस- कीटनाशक घोटाले में फंसे थे आइएफएसअमन तिवारी, रांचीशूटर तारा शाहदेव मामले में गिरफ्तार रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल ने सीआइडी के अफसरों के सामने कई बड़े खुलासे किये हैं. रंजीत ने बताया है कि उसने राज्य के एक […]

रंजीत कोहली ने सीआइडी के अफसरों के सामने स्वीकार किया- बहुचर्चित घोटाले में जेल में बंद थे आइएएस- कीटनाशक घोटाले में फंसे थे आइएफएसअमन तिवारी, रांचीशूटर तारा शाहदेव मामले में गिरफ्तार रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल ने सीआइडी के अफसरों के सामने कई बड़े खुलासे किये हैं. रंजीत ने बताया है कि उसने राज्य के एक आइएएस को जमानत दिलाने के लिए कोर्ट में पैरवी की थी. आइएएस, राज्य में हुए एक बहुचर्चित घोटाले में फंसे थे और जेल में बंद थे. वहीं एक आइएफएस के लिए उसने सरकार में पैरवी की थी. आइएफएस अधिकारी एकीकृत बिहार के समय हुए कीटनाशक घोटाले में फंसे थे. निगरानी विभाग ने सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी, जिसमें उसने आइएफएस को बचाने के लिए पैरवी की थी. रंजीत कोहली के कॉल डिटेल रिकार्ड से भी इस बात की पुष्टि हुई है. उसने इस आइएफएस से तीन जुलाई व 19 जुलाई को बात भी की थी. रंजीत ने स्वीकार किया है कि पैरवी करने के लिए दोनों अधिकारियों ने उसे रुपये दिये थे. कोहली के स्वीकारोक्ति बयान के मुताबिक पूर्व सांसद के कहने पर उसने चतरा के भाजपा नेता को पे-रोल पर जेल से निकलवाने के लिए पैरवी की थी. इसके लिए भी उसे रुपये मिले थे. एक दर्जन मामलों में की पैरवी, आठ-दस जजों से संबंधरंजीत ने सीआइडी के अधिकारियों को दिये बयान में कहा है कि उसने दर्जनों मामलों में कोर्ट में पैरवी की. इस काम में उसने अपने जज मित्रों से सहयोग लिया. सीआइडी को दिये बयान में रंजीत ने आठ-दस जजों से अपने संबंध की बात बतायी. इससे पहले रांची पुलिस को दिये बयान में रंजीत ने सिर्फ चार जजों से संबंध की बात स्वीकारी थी. रुपये बंटवार करने की बात से किया स्वीकार कोहली ने पूछताछ में सीआइडी के अफसरों को बताया है कि वह न्यायालय या सरकार के विभागों में जो भी काम करवाता था, उसमें न्यायिक सेवा के अधिकारियों का सहयोग लेता था. न्यायिक सेवा के अधिकारियों का सहयोग मिलने पर उसका काम आसान हो जाता था. पैरवी और दूसरे काम के एवज में जो भी रुपये मिलते थे, उसमें सभी का हिस्सा होता था. कोहली ने स्वीकार किया है कि वह रुपये का बंटवारा अफसरों और दूसरे लोगों के बीच भी करता था.

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