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झामुमो विधायक सीता सोरेन को हाइकोर्ट से जमानत

राज्यसभा चुनाव 2012 हॉर्स ट्रेडिंग मामला- पीए राजेंद्र मंडल को भी 20 हजार के मुचलके पर जमानत देने का आदेश-विधायक को पासपोर्ट जमा करने व जांच में सहयोग करने का निर्देश- सीता सोरेन 25 फरवरी 2014 से न्यायिक हिरासत में हंैसंवाददाता, रांचीझारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को राज्यसभा चुनाव 2012 हॉर्स ट्रेडिंग मामले के आरोपी झामुमो […]

राज्यसभा चुनाव 2012 हॉर्स ट्रेडिंग मामला- पीए राजेंद्र मंडल को भी 20 हजार के मुचलके पर जमानत देने का आदेश-विधायक को पासपोर्ट जमा करने व जांच में सहयोग करने का निर्देश- सीता सोरेन 25 फरवरी 2014 से न्यायिक हिरासत में हंैसंवाददाता, रांचीझारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को राज्यसभा चुनाव 2012 हॉर्स ट्रेडिंग मामले के आरोपी झामुमो विधायक सीता सोरेन और उनके पीए राजेंद्र मंडल को सशर्त जमानत दे दी. सीता सोरेन की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एचसी मिश्रा ने दोनों को 20-20 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया. निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट जमा करायें. जांच में सहयोग करें और गवाहों को प्रभावित नहीं करें. अदालत में सीता सोरेन के वकील ने दलील दी कि इस मामले में घूस देने के आरोपी निर्दलीय उम्मीदवार आरके अग्रवाल को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिल चुकी है. और इसी आधार पर व मामले की जांच पूरी हो जाने के कारण सीता सोरेन और उनके पीए को जमानत दे दी जाये. इससे पूर्व इस मामले में सीबीआइ ने अपनी बहस पूरी कर ली. बुधवार को बचाव पक्ष के वकील ने अपनी बहस पूरी कर ली थी.सीबीआइ कर रही मामले की जांचसीबीआइ ने इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर अपने हाथ में ली थी. जब इस वर्ष 25 फरवरी को सीता सोरेन ने आत्मसमर्पण किया था, तब उन्हें जेल भेज दिया गया था. सीता सोरेन झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बहू और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं. उन पर 2012 के राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आरोप है. इस मामले में सीबीआइ राज्य के एक दर्जन से अधिक विधायकों के खिलाफ जांच कर रही है.क्या है मामला मार्च 2012 को तय द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में मतदान के दिन तड़के रांची के नामकुम इलाके से एक निर्दलीय उम्मीदवार के कथित रिश्तेदार की गाड़ी से आयकर विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से छापा मार कर दो करोड़ 15 लाख रुपये बरामद किये थे, जिसके बारे में वह कोई उचित सफाई नहीं दे सका था. बाद में चुनाव आयोग ने इस चुनाव के लिए भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने पर अपनी ओर से जारी अधिसूचना वापस ले ली थी. दो माह बाद नये सिरे से दोनों सीटों के लिए चुनाव कराये गये थे.

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