रांची: राज्य के मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद ने कहा है कि राज्य में जमीन के कारण फंसी योजनाओं को पूरी करना सरकार की प्राथमिकता है. जमीन अधिग्रहण और वन भूमि के विवाद की वजह से केंद्र व राज्य सरकार की कई योजनाओं की शुरुआत नहीं हो सकी है. उन योजनाओं के फंसे होने से राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
केंद्रीय मदद भी हासिल नहीं हो पा रही है. प्रभात खबर से बातचीत करते हुए श्री प्रसाद ने कहा : राज्य को उन्नति की ओर ले जाने वाले कई रेल प्रोजेक्ट, पॉवर प्रोजेक्ट, स्टील प्लांट, माइनिंग प्रोजेक्ट लंबित हैं. लगभग सभी योजनाओं के लंबित रहने की वजह जमीन से संबंधित विवाद है. सरकार उन विवादों को उचित तरीके से सुलझाना चाहती है. पारदर्शी तरीके से नये जमीन अधिग्रहण कानून लागू करते हुए काम करना चाहती है. इसके लिए अधिग्रहण से होने वाले सोशल इंपैक्ट की स्टडी कराने की प्रक्रिया शुरू की गयी है.
श्री प्रसाद ने कहा : राज्य की सभी लंबित योजनाओं को पूरा कराना मेरा काम है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत अधिक से अधिक सहायता राशि हासिल करना और उसे खर्च करना मेरे लिए चैलेंज की तरह है. आइएपी का उदाहरण देते हुए मुख्य सचिव ने कहा : विकास आयुक्त के रूप में काम करते हुए केंद्र प्रायोजित योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ राज्य को दिलाने के लिए प्रयासरत रहा हूं. पिछले वित्तीय वर्ष में आइएपी के तहत 170 करोड़ रुपये मिले थे. इस वर्ष वह राशि बढ़ा कर 320 करोड़ रुपये कर दी गयी है. दूसरी योजनाओं में भी राज्य को इसी गति से बढ़ाने के लिए काम किया जायेगा.
यह पूछने पर कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी के मुखिया होने के नाते उसे कैसे हैंडल करेंगे ? उन्होंने कहा कि सभी को सिस्टम के प्रति एकाउंटेबल बनाना होगा. सबकी एकाउंटेबिलिटी तय की जायेगी. यह पूछने पर कि अफसरों पर कार्रवाई की फाइलें कार्मिक विभाग में पड़ी रहती है, बड़े अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं होती. श्री प्रसाद ने कहा : सिस्टम को काम करने के लिए समय चाहिए होता है. गलत करने वाले अफसर पर कार्रवाई जरूर होती है. प्रक्रिया में समय लगना अलग बात है. कई मामलों में आरोप गलत निकलते हैं. बावजूद इसके उन मामलों को ड्रॉप आउट करने का कोई सिस्टम नहीं है. इस वजह से फाइलें पड़ी रहती है. मामले को डॉप आउट करने के लिए सिस्टम विकसित किया जायेगा.