उदघाटनरांची-सिपत ट्रांसमिशन लाइनप्रधानमंत्री ने रांची से सिपत के बीच 765 केवी की ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड का उदघाटन किया. इस लाइन की लंबाई 392 किमी है. 1600 करोड़ की लागत से इस लाइन का निर्माण किया गया है. इसके साथ ही रांची में नामकुम व बेड़ो ग्रिड भी जुड़ा हुआ है. यह लाइन पूर्वी राज्य को पश्चिमी राज्यों से जोड़ता है. रांची से धर्मजयगढ़(छत्तीसगढ़, सिपत तक यह लाइन है. इस लाइन से दो हजार मेगावाट तक बिजली की आपूर्ति की जा सकती है. बेड़ो में बना ग्रिड 765 केवी क्षमता की है. इसकी लागत 500 करोड़ रुपये है. इस ग्रिड से ही रांची-धर्मजयगढ़-सिपत लाइन जुड़ा हुआ है. भविष्य में इसे महाराष्ट्र तक जोड़ने की योजना है. क्या होगा लाभझारखंड को जरूरत पड़ने पर दो हजार मेगावाट बिजली छत्तीसगढ़ या अन्य राज्यों से मिल सकती है. वहीं झारखंड के पास अतिरिक्त बिजली होने पर यहां की बिजली अन्य राज्यों को भेजी जा सकती है. यह पहला मौका है जब पूर्वी राज्यों से पश्चिमी राज्यों को जोड़ा गया है. जसीडीह में ऑयल टर्मिनल डिपोदेवघर जिले के जसीडीह में इंडियन ऑयल द्वारा बनाये गये पेट्रोलियम डिपो का उदघाटन प्रधानमंत्री ने किया. 26 एकड़ क्षेत्रफल में 109 करोड़ की लागत से इस डिपो का निर्माण किया गया है. इस डिपो में सुरक्षा के सभी मानकों का पालन किया गया है. इस डिपो से पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल का भंडारण होगा. जिससे बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, दुमका, पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में आपूर्ति की जा सकती है. वर्तमान में अभी इन क्षेत्रों में रांची व धनबाद के डिपो से आपूर्ति होती है. जसीडीह टर्मिनल की क्षमता 31600 किलोलीटर की है. जिसमें पेट्रोल 10694 केएल, डीजल 15814 केएल, केरोसिन 4882 केएल तथा एथेनॉल 210 केएल स्टोरेज किया जा सकता है. यहां से टैंक ट्रकों में भरकर आसपास के जिलों में आपूर्ति का जा सकेगी. टर्मिनल का सारा कामकाज एक सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल रूम से संचालित होगा. एक शिफ्ट में 160 से 180 टैंक ट्रक तेल लोड किये जायेंगे. पांच फायर इंजन लगाये गये हैं, जिसमें 11000 केएल पानी रखने की क्षमता है. अग्नि रोधक यंत्र स्वसंचालित है और सीसीटीवी कैमरे हर जगह लगाये गये हैं. क्या होगा लाभजसीडीह टर्मिनल न केवल वर्तमान में तेल की मांग को पूरा करेगा बल्कि भविष्य में बढ़नेवाली तेल की जरूरतों को पूरा करेगा. अबाधित तेल की आपूर्ति इस औद्योगिक क्षेत्र के विकास में सहायक होगा. खासकर कोल माइनिंग, स्टील, बॉक्साइट और माइका उद्योगों के लिए भी तेल की जरूरतों को पूरा कर सकेगा. एंसिलियरी उद्योगों को भी इसका फायदा मिलेगा. वितरण लॉजिस्टिक के बढ़ने से रोजगार का विस्तार भी होगा. टर्मिनल इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में एक उत्प्रेरक साबित होगा. दूसरे चरण में इंडियन ऑयल द्वारा पारादीप से खूंटी तक पाइप लाइन बिछायी जा रही है. यह भी इस राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. कार्य आरंभएनटीपीसी नॉर्थ कर्णपुरा थर्मल पावर प्लांटचतरा जिले के टंडवा में एनटीपीसी का नॉर्थ कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनना है. तीन यूनिटवाला कुल 1980 (660़3) मेगावाट का यह प्रोजेक्ट कई वर्षों से लटका था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माण कार्य को आरंभ कर दिया है.गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. केंद्र ने अंतिम समय में कोयला खुदाई के मुद्दे पर इस प्रोजेक्ट का साइट बदलने को कहा, जिससे परियोजना का काम रोकना पड़ा था. कोयला मंत्रालय के अनुसार प्रोजेक्ट एरिया में जमीन से तीन सौ मीटर नीचे कोयला है, इसलिए इस प्रोजेक्ट को कहीं और शिफ्ट करना होगा. वहीं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि जमीन से तीन सौ मीटर नीचे कोयला खुदाई की तकनीक भारत में नहीं है. ऐसी तकनीक आने में अभी दशकों लगेंगे, इसलिए पावर प्लांट यहां लगाया जा सकता है. बिहार के बाढ़ में भी उसी वक्त पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ था. बाढ़ में 2013 से उत्पादन शुरू हो गया है. इधर, झारखंड में एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, रक्षा तथा वन व पर्यावरण मंत्रालय से क्लियरेंस जैसी वैधानिक औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी थीं. वन मंत्रालय से क्लीयरेंस के बाद ही कोयला मंत्रालय ने अक्तूबर 2009 में प्रोजेक्ट के लिए कोल लिंकेज भी दे दिया. इसके बाद भूमि अधिग्रहण, आइटीआइ भवन का निर्माण, एप्रोच व डायवर्सन रोड, ऑफिस ब्लॉक, सीआइएसएफ बैरेक, फेंसिंग, साइट लेवलिंग सहित अन्य कार्य शुरू किये गये. यहां तक कि 1490 एकड़ जमीन के बदले ग्रामीणों को मुआवजा देकर एनटीपीसी को दखल भी दे दिया गया. राज्य सरकार ने प्रस्तावित प्रोजेक्ट को पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रोजेक्ट एरिया से लगभग पांच किमी दूर गरही जलाशय पर कुछ राशि भी खर्च कर दी थी. इतना सब होने के बाद केंद्र ने साइट बदलने को कहा, जिससे यह प्रोजेक्ट आज तक लंबित रहा. अब प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य आरंभ हो गया है. कुल 223.75 एकड़ में यह पावर प्लांट बन रहा है. 15 एकड़ भूमि हजारीबाग शहर के नजदीक टाउनशिप के लिए ली गयी है. पानी गरही डैम से मिलेगा. एनटीपीसी द्वारा एयर कुल्ड कंडेसर की मदद से मशीन लगायी जा रही है जिसे 90 क्यूसेक की जगह 20 क्यूसेक पानी की ही जरूरत होगी. परियोजना पर कुल 14355.58 करोड़ रुपये खर्च होंगे. परियोजना 2017 तक पूरा करने की योजना है. क्या होगा लाभपावर प्लांट के निर्माण होने पर झारखंड समेत उत्तर, पश्चिमी व पूर्वी राज्यों को बिजली आपूर्ति की जा सकेगी. कम से कम 500 मेगावाट बिजली झारखंड को ही मिलेगी. इससे झारखंड बिजली उत्पादन के मामले में सरप्लस राज्य बन सकेगा. नेशनल डिजिटल लिट्रेसी मिशन रांची से आरंभप्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता अभियान की शुरुआत रांची से पूरे देश में कर दी है. इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को कंप्यूटर साक्षर बनाना है. यह प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत अभियान का एक अभिन्न अंग है. देश के प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के चयनित प्रखंड में हर घर में एक व्यक्ति को आइटी का प्रशिक्षण देना है. प्रथम चरण में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस अभियान का उद्देश्य लोगों को आइटी में दक्षता हासिल कराना है. जिसमें कंप्यूटर प्रशिक्षण से लेकर इंटरनेट ऑपरेशन तक शामिल है. साथ ही टैबलेट, मोबाइल जैसी तकनीक का वह अच्छी तरह इस्तेमाल कर सके. ताकि प्रशिक्षण के बाद आजीविका के लिए भी लोग इसका इस्तेमाल कर सके. क्या है पाठ्यक्रम की अवधिलेवल-1: 20 घंटे(10 दिनों से लेकर 30 दिनों तक)लेवल-2: 40 घंटे(20 दिनों से लेकर 60 दिनों तक)शिक्षा का माध्यम : भारत की आधिकारिक भाषाएंपात्रता : निरक्षर से सातवीं उत्तीर्ण तथा लेवल दो के लिए आठवीं उत्तीर्णआयु: 14 वर्ष 60 वर्षशुल्क : एसटी, एसएसी व बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क तथा सामान्य उम्मीदवारों से 125 रुपये की फीस ली जायेगी. बीपीएल परिवारों को 300 रुपये की मजदूरी का भुगतान किया जायेगा. लेवल दो में सामान्य वर्ग के लिए 250 रुपये फीस है व बीपीएल परिवारों को 600 रुपये मजदूरी का भुगतान भी किया जायेगा. प्रशिक्षण की जगहयोजना के तहत प्रखंडों में एक कॉमन प्रशिक्षण केंद्र खोले जायेंगे. जहां परिवार का एक नामित व्यक्ति प्रशिक्षण ले सकेगा. मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रमाणित एजेंसी नाइलेट, एनआइओएस व इग्नू से कराया जायेगा.क्या सीखेंगेबायोडाटा, ब्रोशर, व्यापार कार्ड, पत्र, निमंत्रण आदि बनाना, स्प्रेडशीट में बजट, ग्राफ्स व चार्ट बनाना, पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन, तसवीर, ऑडियो, विजुअल का निर्माण व संपादन,इंटरनेट का उपयोग करना आदि. क्या होगा लाभघर-घर में कंप्यूटर साक्षर होंगे. बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा. हर प्रखंड में प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक के रूप में रोजगार मिलेगा. शिलान्यासराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलिट) रांची केंद्रनाइलिट के रांची केंद्र का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है. नाइलिट केंद्र का रांची में स्थापना देश भर में डिजिटल साक्षरता और क्षमता निर्माण के उद्देश्य को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की एक संस्था है. भारत वर्ष में इसके कुल 30 केंद्र हैं. आज तक 20 लाख से अधिक युवाओं को नाइलिट में आइटी दक्ष बनाया गया है. झारखंड सरकार ने रांची नाइलिट के स्थायी परिसर की स्थापना के लिए पांच एकड़ जमीन प्रदान की है. 65 करोड़ की लागत से इसके भवन बनाये जायेंगे. निर्माण कार्य दो वर्ष में पूरा हो जायेगा. फिलहाल झारखंड सरकार ने आठ हजार वर्ग फीट की जगह रियाडा भवन में उपलब्ध करायी है, ताकि कोर्स आरंभ किये जा सके. इस केंद्र में प्रतिवर्ष एक हजार उम्मीदवार और पांचवें साल के बाद लगभग 18 हजार उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा सकेगा. क्या होगा नाइलिट मेंऔपचारिक क्षेत्र में बीसीए, एमसीए, बीटेक, एमटेक पाठ्यक्रम शामिल किया गया है. अनौपचारिक क्षेत्र में विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं. जिसमें 80 घंटे से लेकर तीन हजार घंटे तक के कार्यक्रम शामिल हैं. प्रशिक्षण के उपरांत ऑनलाइन परीक्षा एवं प्रमाण पत्र भी निर्गत किये जाते हैं. नाइलिट से सॉफ्टवेयर बनाने से लेकर हार्डवेयर तक के प्रशिक्षण लिये जा सकते हैं. क्या होगा लाभइसके माध्यम से कौशल विकास होगा. इससे रोजगार के अवसर प्रदान होंगे. साथ ही देश-विदेश में रोजगार के नये अवसर भी मिलेंगे. आइटी में प्रशिक्षण के लिए युवाओं को राज्य से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी. साथ ही डिजिटल साक्षरता अभियान के उद्देश्यों को पूरा करने में भी सहायक होगा. एसटीपीआइ के नये इन्क्यूबेशन सुविधा की आधारशिलारांची में बने सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में नये इन्क्यूबेशन सुविधा की आधारशिला पीएम ने रखी है. नामकुम औद्योगिक क्षेत्र स्थित एसटीपीआइ में 22 हजार वर्ग फीट में 14 करोड़ की लागत से इन्कूयबेशन सुविधा स्थापित की जा रही है. इससे स्टार्ट अप कंपनियों एवं नव उद्यमियों को लाभ होगा. उन्हें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए जगह दी जायेगी. यह आइटी सेवाओं की निर्यातक इकाइयों के लिए एक संसाधन केंद्र की तरह काम करेगी. दो वषों में यह सुविधा कार्यशील हो जायेगी. एसटीपीआइ रांची की स्थापना वर्ष 2006 में की गयी थी. चार एकड़ भूमि पर दस हजार वर्ग फीट में एसटीपीआइ भवन बना हुआ है. वर्ष 2013-14 में एसटीपीआइ रांची से नौ करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर निर्यात किया गया है. राज्य में एसटीपीआइ के चार नये क्षेत्र जमशेदपुर, धनबाद, देवघर व बोकारो में भी स्थापित किये जायेंगे.क्या होगा लाभझारखंड भी आइटी के क्षेत्र में उभर सकेगा.यहां के युवाओं को सॉफ्टवेयर विकसित करने की जगह मिलेगी और निर्यात के अवसर मिलेंगे. हाइ स्पीड ब्रॉडबैंड की सुविधा यहां से उपलब्ध करायी जायेगी. आइटी प्रशिक्षित लोगों के लिए रोजगार के अवसर मिलेंगे.
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इन योजनाओं का हुआ उदघाटन और शिलान्यास
उदघाटनरांची-सिपत ट्रांसमिशन लाइनप्रधानमंत्री ने रांची से सिपत के बीच 765 केवी की ट्रांसमिशन लाइन और ग्रिड का उदघाटन किया. इस लाइन की लंबाई 392 किमी है. 1600 करोड़ की लागत से इस लाइन का निर्माण किया गया है. इसके साथ ही रांची में नामकुम व बेड़ो ग्रिड भी जुड़ा हुआ है. यह लाइन पूर्वी राज्य […]
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