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दो साल बाद होगी विटामिन-ए की खरीद

रांची: राज्य में दो वर्षो बाद विटामिन-ए की खरीद की जायेगी. केंद्र से मिले निर्देश के बाद विटामिन-ए की कीमत संबंधी अड़चन दूर हो गयी है. अब पहले राउंड के लिए विटामिन-ए की कुल 82 हजार बोतलें खरीदी जायेंगी. यह खरीद सरकारी क्षेत्र की कंपनियों से की जानी है. राज्य सरकार ने एक बोतल की […]

रांची: राज्य में दो वर्षो बाद विटामिन-ए की खरीद की जायेगी. केंद्र से मिले निर्देश के बाद विटामिन-ए की कीमत संबंधी अड़चन दूर हो गयी है. अब पहले राउंड के लिए विटामिन-ए की कुल 82 हजार बोतलें खरीदी जायेंगी.

यह खरीद सरकारी क्षेत्र की कंपनियों से की जानी है. राज्य सरकार ने एक बोतल की कीमत पहले 65 रुपये बतायी थी. केंद्र ने इसी हिसाब से पैसे दिये थे. अब एक बोतल की कीमत करीब 82 रुपये हो गयी है.

इसे लेकर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) से जुड़े अधिकारी विटामिन खरीदने से बच रहे थे. केंद्र से पूछा गया था कि क्या बढ़ी कीमत पर खरीद हो सकती है. इसी के जवाब में केंद्र ने लिखा है कि किसी भी दवा की खरीद नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइस कंट्रोल ऑथोरिटी (एनपीपीए) से तय अधिकतम कीमत के अंदर ही होनी चाहिए.

केंद्र सरकार की जरूरी दवाओं की सूची (इसेंशियल ड्रग्स लिस्ट) में शामिल दवाओं की कीमत एनपीपीए की दर से 16 फीसदी कम होती हैं. इसलिए अब कीमत की कोई बाधा नहीं है, क्योंकि विटामिन-ए इसी सूची की दवा है. अन्य 103 जरूरी दवाओं की खरीद के लिए भी सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के साथ करार हो गया है. इन्हें दवाओं की आपूर्ति संबंधी चिट्ठी दे दी गयी है. अब राज्य भर में दवाओं की कमी दूर होगी.संबंधित कंपनियां विभिन्न जिलों से जरूरी दवाओं की सूची लेकर दवा की आपूर्ति करेगी. कंपनियों से कहा गया है कि वे ओपीडी तथा आइपीडी में उपयोगी दवाएं ही जिलों को भेजें. इसके सैंपल जांच के लिए मुख्यालय को देने हैं. वहीं विटामिन-ए सहित कुछ अन्य वैसी दवाओं की केंद्रीकृत खरीद होनी है, जो किसी अभियान या राउंड में एक साथ दिये जाते हैं.

करीब 38 लाख बच्चे प्रभावित

राज्य भर के करीब 38 लाख बच्चों को गत दो वर्षो से विटामिन-ए की खुराक नहीं दी गयी है. चिकित्सकों के अनुसार विटामिन-ए की खुराक नौ माह से पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों को दी जाती है. इसकी कमी से दृष्टि दोष व अंधापन का खतरा रहता है. वहीं संक्रमण से लड़ने में भी यह विटामिन सहायक है. कुपोषित बच्चों को इसकी खास जरूरत होती है. गौरतलब है कि झारखंड में अति कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग पांच लाख है. इस तरह 38 लाख बच्चों पर विटामिन-ए की कमी का सीधा असर हो सकता है. दूसरी दवाओं की भी राज्य में कमी है.

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