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क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड सेक्शन पर दें खास ध्यान

अविनाश कुमार, निदेशक, यूनिवर्सल कैरियर कोचिंग सेंटरवैसी प्रतियोगी परीक्षाएं, जो एप्टीट्यूड टेस्ट पर आधारित हैं, जैसे बैंकिंग, एसएससी, रेलवे , एमबीए, एंट्रेंस, सीडीएस, पुलिस सब-इंस्पेक्टर,पीसीएस, एनडीए, एलआइसी, आदि में अभ्यर्थियों के सामान्य प्राकृतिक गुणों जैसे गणना, तर्क-वितर्क, क्रिया-प्रतिक्रिया करने की क्षमता, भाषा, व्यवहार कुशलता की जांच होती है. एप्टीट्यूड टेस्ट में क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड सेक्शन का […]

अविनाश कुमार, निदेशक, यूनिवर्सल कैरियर कोचिंग सेंटरवैसी प्रतियोगी परीक्षाएं, जो एप्टीट्यूड टेस्ट पर आधारित हैं, जैसे बैंकिंग, एसएससी, रेलवे , एमबीए, एंट्रेंस, सीडीएस, पुलिस सब-इंस्पेक्टर,पीसीएस, एनडीए, एलआइसी, आदि में अभ्यर्थियों के सामान्य प्राकृतिक गुणों जैसे गणना, तर्क-वितर्क, क्रिया-प्रतिक्रिया करने की क्षमता, भाषा, व्यवहार कुशलता की जांच होती है. एप्टीट्यूड टेस्ट में क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड सेक्शन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है. क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड टेस्ट को समझेंसबसे पहले हम लोगों को क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड के वास्तविक अर्थ को समझना होगा. प्रतियोगी परीक्षाओं में इस तरह के प्रश्न हल करने के दौरान अभ्यर्थियों को परंपरागत फार्मूले और स्टेप बाई स्टेप विधि की बजाय प्रश्नों का अर्थ समझना होता है. बुद्घिमानी से कम समय में हल करना होता है. प्रतियोगी परीक्षाओं में इस सेक्शन में वैसे ही प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर सामान्य शिक्षा प्राप्त (10वीं कक्षा तक) कोई भी दे सकता है. इन प्रश्नों के उत्तर देने में हमें प्रश्न की भाषा, पृष्ठभूमि, प्रश्न में दी गयी जानकारी और घटना आदि को बारीकी से समझना होता है. जहां एक ओर कुछ प्रश्न सीधे तौर पर जोड़ स्किल की जांच करते हैं, वहीं दूसरी ओर बहुत वैसे भी प्रश्न होते हैं, जिनका संबंध सामान्य सामाजिक-आर्थिक जीवन, समझ-अवधारणा से होता है. यदि छात्र जवाब की क्षमता और बुद्घिमता का प्रयोग करंे, तो वे वैसे प्रश्नों के उत्तर भी आसानी से दे सकते हैं. …………………………. शॉर्ट कर्ट ट्रिक्स न अपनायेंप्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहेे छात्रों में एक गलत अवधारणा शॉर्ट क र्ट ट्रिक्स को लेकर रहती है, बिना टॉपिक्स या प्रश्नों को समझे वे ट्रिक्स के फेर में पड़ कर बेसिक कंसेप्ट से दूर रहते हैं. दूसरी बात कि कई छात्र भ्रमित होकर विषय की ठीक से तैयारी न कर अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी पैटर्न के आधार पर करते हैं. इस प्रकार की त्रुटि पूर्ण तैयारी का नतीजा यह निकलता है कि पैटर्न में हल्का सा भी परिवर्तन होने पर उन्हें असफलता मिलती है. कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं, जो परीक्षा के लिए आवेदन फॉर्म भरने के बाद तैयारी शुरू करते हंै या क्रैश कोर्स करने जैसी भ्रामक रणनीति अपनाते हैं. मेरी राय में किसी परीक्षा के पैटर्न पर तैयारी करने, पिछले वर्षों में पूछे गये प्रश्नों पर अभ्यास करने या क्रैश कोर्स आदि करने के पहले उन्हें उस विषय के हर महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर अच्छी समझ और दक्षता हासिल कर लेनी चाहिए. इन टॉपिक्स पर कमांड जरूरी : संख्या पद्घति, एचसीएफ -एलसीएम, दशमलव भिन्न, सरलीकरण, वर्गमूल और घनमूल संख्याओं पर आधारित प्रश्न, घातांक व करणी, औसत, प्रतिशत, लाभ-हानी, अनुपात-समानुपात,साझा, मिश्र समानुपात, समय व कार्य, पाइप व टंकी, समय व दूरी, रेल, धारा और नाव संबंधी प्रश्न, मिश्रण, साधारण ब्याज,चक्रवृद्घि ब्याज, क्षेत्रफल, ठोस वस्तुओं के आयतन, त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत, सरणीकरण बार ग्राफ, पाई चार्ट, रेखा चित्र और संख्या श्रेणी आदि. परीक्षा में प्रश्न पैटर्न अलग-अलग निश्चित रूप से अलग-अलग परीक्षाओं मेें प्रश्न पूछने के पैटर्न अलग-अलग प्रकार के होते हैं. ये पैटर्न समय-समय पर परिवर्तित भी होते रहते हंै. जरूरत है बेसिक कंसेप्ट क्लियर करने की. यदि किसी छात्र ने संख्याओं के तुलनात्मक संबंध, संख्याओं के प्रयोग के विकल्प की संंभावनाएं, त्वरित गणना (जोड़ना-घटाना, गुणा-भाग) पर पर्याप्त मेहनत की है, तो नि:संदेह उसे इस सेक्शन में काफी लाभ मिलेगा. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए संख्यात्मक अभियोग्यता सेक्शन की तैयारी करने के दौरान एक अभ्यर्थी को चाहिए कि वह कम से कम एक से 40 तक का टेबल, एक से 40 तक की संख्याओं का स्कवायर, क्यूब, स्क्व ायर रूट्स, क्यूब रूट्स, अंकगणित, क्षेत्रमिति और बीज गणित के लगातार इस्तेमाल सूत्र याद कर लें. इससे समय में काफी बचत होगी. प्रतियोगी परीक्षा में खासकर संख्यात्मक अभियोग्यता सेक्शन में स्पीड और एक्यूरेसी का बहुत महत्व है. इन दोनोें में दक्षता हासिल करने के लिए बेसिक कंसेप्ट, एकाग्रता, अभ्यास, कॉमन सेंस, बुद्घिमता, आत्मविश्वास, प्रश्नों के मूल उद्देश्य एवं प्रकृति की समझ, सही एप्रोच व तरीका, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण आदि का होना जरूरी होता है.

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