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नेतृत्व की विश्वसनीयता जरूरी : अर्जुन मुंडा

परिचर्चा में हिस्सा लेेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा : लोकतंत्र में हर व्यक्ति को आजादी का अनुभव होना चाहिए. गणतंत्र में राष्ट्र द्वारा तय किये गये समग्र सिद्धांत के साथ चलना जरूरी है. देश तब तक मजबूत नहीं होगा, जब तक राज्य मजबूत नहीं होंगे. आधार मजबूत नहीं होगा. आज देश के […]

परिचर्चा में हिस्सा लेेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा : लोकतंत्र में हर व्यक्ति को आजादी का अनुभव होना चाहिए. गणतंत्र में राष्ट्र द्वारा तय किये गये समग्र सिद्धांत के साथ चलना जरूरी है. देश तब तक मजबूत नहीं होगा, जब तक राज्य मजबूत नहीं होंगे. आधार मजबूत नहीं होगा. आज देश के विचार में परिवर्तन हो रहा है. पिछले 20 वर्षों का जनादेश देखते हुए ऐसा लगने लगा था कि अब गंठबंधन सरकार बाध्यता हो गयी है, लेकिन लोकतंत्र में फैसला जनता करती है. इस बार चुनाव में लोगों ने दिखा दिया कि नेतृत्व का विश्वसनीयता की कसौटी पर खरा उतरना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि भारत में कई राजनीतिक दल हैं. इसे हम लोकतंत्र का अलंकार और कमजोरी दोनों मान सकते हैं. लोकतंत्र मजबूत बनाने के लिए स्पष्ट नीति और स्पष्ट दृष्टि के साथ चलना जरूरी है. लोकतंत्र का कोई विकल्प नहीं है. इसे बेहतर करने के लिए दलीय सिद्धांत मजबूत होना चाहिए. श्री मुंडा ने कहा कि नेतृत्व को व्यक्तिगत संकल्प और सिद्धांत के साथ पूरी टीम का संयुक्त प्रयास भी होना चाहिए. दोनों में सामंजस्य बनाने से ही सही दृष्टि मिलेगी. बदली परिस्थितियों में देश के अर्थशास्त्र के साथ राज्य का सामंजस्य स्थापित करना जरूरी है. आज की ग्लोबल इकोनॉमी में नीतियों और संकल्प के अभाव में जगह बनाना संभव नहीं है. दलीय नीतियों में भी कमिटमेंट होना चाहिए. अब्राहम लिंकन जैसे व्यक्ति को आज भी दुनिया याद करती है. कारण उनका साहस था. रिपब्लिकन होते हुए भी उन्होंने दास प्रथा को समाप्त करने के लिए काम किया. यह बताता है कि निर्णय लेते समय व्यक्तिगत हितों को छोड़ कर जनहित को ध्यान में रखना ही जरूरी है. श्री मुंडा ने कहा : नेता केवल राजनीति में नहीं होते. अलग-अलग क्षेत्र में संकल्प के साथ बेहतर काम करने वाले सभी लोग नेता हैं. आज नेतृत्व ने विश्वसनीयता खो दी है. वर्तमान परिस्थितियों में नेतृत्व की विश्वसनीयता बनाना सबसे ज्यादा जरूरी है. आज देश में जिस नयी सोच ने जन्म लिया है, उस विचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है. यह समझने की आवश्यकता है कि दलीय संकल्प ही मजबूती प्रदान कर सकता है. मर्यादा में रहने की सीख दे सकता है. देश या राज्य के विकास के लिए आत्मविश्वास और निष्ठा की जरूरत है. व्यक्तिगत नुकसान की चिंता छोड़, हमें राज्य के लिए काम करना होगा.

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