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साउथ.. आज भी बेगाने हैं टाना भगत

तीन फोटो है :गुमला 2, 3 व 4गुमलादुर्जय पासवानइंट्रो–1914 में महात्मा गांधी व सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुषों के साथ मिल कर टाना भगतों ने अंगरेजों से लोहा लिया था. आंदोलन हुआ, देश आजाद हुआ, संविधान बना. सभी जाति के लोगों को अधिकार मिला, पर टाना भगत आज भी अपने हक व अधिकार के लिए संघर्ष […]

तीन फोटो है :गुमला 2, 3 व 4गुमलादुर्जय पासवानइंट्रो–1914 में महात्मा गांधी व सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुषों के साथ मिल कर टाना भगतों ने अंगरेजों से लोहा लिया था. आंदोलन हुआ, देश आजाद हुआ, संविधान बना. सभी जाति के लोगों को अधिकार मिला, पर टाना भगत आज भी अपने हक व अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. टाना भगतों की संख्या गुमला जिले के बिशुनपुर, भरनो व घाघरा प्रखंड में सबसे अधिक है. इनकी आबादी गुमला जिले में लगभग 5500 है. आज भी बीहड़ जंगल व पहाड़ों के बीच रहने वाले टाना भगत के गांवों की दुर्दशा दयनीय है. विकास की किरणें आज भी नहीं पहुंच पायी है. टाना भगत जाति में कुछ लोग ही पढ़े-लिखे हैं, जो अपनी आनी वाली पीढ़ी को लेकर काफी चिंतित हैं. सिर पर गांधी टोपी, बदन पर खादी वस्त्र, हाथों में शंख व घंट, यही टाना भगतों की पहचान है. देश की आजादी में टाना भगतों ने महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिला कर अपनी अहम भूमिका निभायी. पर आज वे अपने ही गांव-घर में बेगाने बन गये हैं. अपनी ही जमीन पर मालिकाना हक को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले टाना भगत अपना हक अधिकार मांग रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें इनका अधिकार नहीं दे रही है. नतीजा आज भी ये लोग अपनी समस्याओं को लेकर प्रखंड व जिला मुख्यालय से लेकर राज्य की राजधानी रांची तक आंदोलन करते नजर आते हैं. इनका आंदोलन अभी भी जारी है. 1914 में महात्मा गांधी व सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुषों से मिल कर टाना भगतों ने अंगरेजों से लोहा लिया था. आंदोलन हुआ, देश आजाद हुआ, संविधान बना. सभी जाति के लोगों को अधिकार मिला. पर टाना भगत आज भी अपने हक व अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. टाना भगतों की संख्या गुमला जिले के बिशुनपुर, भरनो व घाघरा प्रखंड में सबसे अधिक है. इनकी आबादी गुमला जिले में लगभग 5500 है. आज भी बीहड़ जंगल व पहाड़ों के बीच रहने वाले टाना भगत के गांवों की दुर्दशा दयनीय है. विकास की किरणें आज भी नहीं पहुंच पायी है. टाना भगत जाति में कुछ लोग ही पढ़े-लिखे हैं, जो अपनी आनी वाली पीढ़ी को लेकर काफी चिंतित हैं. टाना भगतों की हालात कैसे सुधरे, इसके लिए टाना भगतों ने अखिल भारतीय गुमला जिला टाना भगत उत्थान समिति का गठन किया है. इसके बैनर तले हर समय टाना भगत अपनी मांगों को लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय यहां तक कि झारखंड राज्य की राजधानी रांची में भी धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं. पर, समस्या दूर नहीं हो रही है. टाना भगत की आबादी गुमला जिले के बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड में सबसे अधिक है. घाघरा प्रखंड के कच्चापाड़ा, लूदगो, डुको, नवाडीह में सबसे अधिक टाना भगत हंै. टाना भगतों ने एक सूची तैयार की है. इसमें 551 परिवार हैं. आबादी लगभग 5500 है. यह सूची गुमला जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया गया है. विकास समिति के अध्यक्ष संखो टाना भगत का कहना है कि आज भी टाना भगत गांधी जी की टोपी व खादी वस्त्र पहनते हैं. घर के आंगन में सादा तिरंगा झंडा व तुलसी पौधे का चबूतरा रखना अनिवार्य है. टाना भगत समाज के लोग सुबह उठने के बाद पहले तिरंगा झंडा व तुलसी पौधा की पूजा-पाठ करते हैं. इसके अलावा धरती माता, चांद, सूर्य, हवा, पानी, गो-माता व ठनका (वज्रपात) की पूजा की जाती है. उसके बाद ही घर में कोई भोजन करता है. टाना भगतों की प्रमुख समस्याएं व मांगें नीलामी जमीन वापस की जाये, टाना भगतों की खाता पुस्तिका मिले, आदिम जनजाति असुर व बिरहोर जाति की तरह टाना भगत के बच्चों को भी शिक्षा व नौकरी मिले, टाना भगत आवासीय स्कूल में सिर्फ टाना भगत के बच्चों का नामांकन हो, नकली रेवेन्यू के उपयोग पर प्रतिबंध लगे, सरकार द्वारा चलायी जा रही विकास योजनाओं का लाभ टाना भगतों को भी मिले, सभी टाना भगत के परिवार को बीपीएल नंबर राशन कार्ड मिले, जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र अंचल कार्यालय से बने, खतियान की मांग की जाये, कुर्सीनामा के आधार पर खतियान बने, खलारी व डकरा के सीसीएल में टाना भगतों का नामांकन किया जाये.

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